Domain Flipping
आज डिजिटल मार्केटिंग और ई कॉमर्स जिस तेजी से बढ़े हैं, उस वजह से हर बिजनेस चाहता है कि सर्च इंजन्स पर उसकी वेबसाइट टॉप रैंकिंग बना पाए। तभी तो उसके टारगेट ऑडियंस तक उस बिजनेस की पहुंच बढ़ेगी और उसी से प्रॉफिट बढ़ेगा। अब इस प्रोसेस में और लय हासिल करने के लिए डोमेन नेम का रोल तो काफी इंपॉर्टेंट हो जाता है, क्योंकि अगर आपके पास एक अच्छा डोमेन नेम है, तो वह आपकी बिजनेस साइट को हाई रैंकिंग तक पहुंचा देगा, जिससे साइट पर ज्यादा ट्राफिक आएगा और सेल्स वॉल्यूम इनक्रीस होगा। इसका मतलब ये है कि अच्छे डोमेन नेम्स की काफी डिमांड है इसलिए ये एक अच्छी इनवेस्टमेंट ऑपर्च्युनिटी भी बन सकती है। डोमेन नेम को खरीदकर और फिर बेच कर काफी प्रॉफिट बनाया जा सकता है और इसे डोमेन शिपिंग कहते हैं। क्या ये बात आप जानते हैं? अगर आप जानते हो तो इसके बारे में आपको डीटेल में जानना चाहिए और अगर आपने ऐसा पहली बार ही सुना है जाना है तो इसे पूरी तरह समझ कर आप भी इस तरह के आसान इनवेस्टमेंट से बहुत अच्छी अर्निंग कर सकते हैं और इसके लिए किसी तरह की नॉलेज और स्किल्स की जरूरत भी तो नहीं होती।
बस कुछ छोटी मोटी बातों को समझ कर आप भी डोमेन नेम से अच्छा खासा प्रॉफिट बना सकते हैं। तो अगले कुछ मिनट तो बनते हैं इस वीडियो पर इन्वेस्ट करने के लिए। तो चलिए शुरू करते हैं और सबसे पहले ये क्लियर कर लेते हैं कि डोमेन नेम होता क्या है। डोमेन नेम इंटरनेट पर एक वेबसाइट का एड्रेस होता है। जब हम वेब ब्राउजर में डोमेन नेम टाइप करते हैं तो ये हमें उस वेबसाइट तक ले जाता है जिसका डोमेन नेम हमने टाइप किया है जैसे google.com। facebook.com हर दिन डोमेन नेम खरीदे और बेचे जाते हैं और अगर डोमेन प्लॉटिंग सही तरह से की जाए तो प्रॉफिट मिलना तो पक्का है। इसकी शुरुआत साइड बिजनेस की तरह की जा सकती है और इसमें एक्सपर्टीज मिलने के साथ साथ आप इसे फुलटाइम बिजनेस भी बना सकते हैं।
चलिए समझते हैं डोमेन क्लिपिंग्स को। जैसा कि हमने पहले जाना कि डोमेन नेम को खरीदना और बेचना डोमेन शिपिंग है। लेकिन इसमें बात ये है कि डोमेन नेम को बहुत ही कम प्राइस में खरीदा गया और फिर हाई प्राइज में बेचा गया जिससे प्रोफिट मिला। अब ऐसा कहने के लिए हर डोमेन फ्लिपर की अपनी स्ट्रैटेजी होती है। लेकिन इसका आइडिया तो सबका सेमी होता है। कुछ डोमेन प्लेटफॉर्म्स डोमेन नेम को कम दामों में खरीदकर उसे लंबे टाइम तक अपने पास होल्ड रखते हैं, ताकि इनवेस्टमेंट पर मैक्सिमम रिटर्न मिल सके। जबकि कुछ डोमेन पेपर्स कम टाइम के लिए ही डोमेन नेम को होल्ड रखते हैं और कुछ हफ्तों से महीनों में ही उसे बेच देते हैं। तो प्रॉफिट ऑन करने का सबका तरीका अलग अलग होता है।
कौन सा domain shopping के लिए बेस्ट होते हैं?
तो डोमेन शिपिंग के लिए डोमेन चूज करते समय आप न्यू डोमेन और एक्सपायर्ड डोमेन में से चूज कर सकते हैं। दोनों ही डोमेन सेलेक्ट करते समय अगर इनके प्राइस और कॉन्स को ध्यान रखेंगे तो इससे ज्यादा प्रोफिट आप कमा पाएंगे। न्यू डोमेन को सर्च करना और रजिस्टर करना आसान होता है लेकिन इन्हें सेल करते समय एसईओ इम्प्लीमेंट में काफी एफर्ट्स लगाने होते हैं। वहीं एक्सपायर्ड डोमेन के पास ही डोमेन अथॉरिटी होती है। अच्छा ट्रैफिक वॉल्युम होता है लेकिन ये ज्यादा महंगे होते हैं क्योंकि इनकी अवेलेबिलिटी काफी लिमिटेड होती है। इस तरह के डोमेन की हिस्ट्री को वेरिफाई करना भी जरुरी हो जाता है ताकि पता चल सके कि कहीं इल्लीगल एक्टिविटीज की वजह से सर्च इंजन्स ने इसे ब्लैकलिस्ट तो नहीं कर रखा। इस तरह न्यू और एक्सपायर्ड डोमेन को उसके फायदे और नुकसान देखकर खरीदने के लिए चुना जा सकता है। अब जब डोमेन के बारे में ये सब जान ही लिया है तो फिर अब आगे डोमेन फिलअप करने के प्रोसेस को भी समझ लेते हैं। डोमेन शिपिंग शुरू करने के लिए आपको ये स्टेप्स फॉलो करने होंगे।
- पहला स्टेप है सबसे पहले क्वॉलिटी डोमेन सर्च करें। आपको डोमेन नेम चूज करना होगा, जो महंगा ना हो लेकिन यूनीक हो। इस तरह का डोमेन नेम चूज करने के लिए आप इन बातों पर गौर कर सकते हैं। शॉर्ट हो जैसी google.com या youtube .com पॉप्युलर एक्सटेंशन्स जैसे .com और .co की कीमत ज्यादा होती है। लेकिन क्योंकि ये ज्यादा पोर्टेबल होते हैं इसलिए ये आसानी से फेल भी हो जाते हैं। इसलिए शुरुआत में popular domain name extensions पर ही फोकस करें। नीचे के अकॉर्डिंग डोमेन नेम परचेज करें। क्योंकि बहुत से ओनलाइन बजह से अपनी स्पेसिफिक इंडस्ट्री, लोकेशन और सर्विसेस से रिलेटेड डोमेन लेना ही प्रिफर करते हैं। इसलिए नीड से रिलेटेड डोमेन नेम खरीदकर उन्हें सेल करना आसान हो सकता है। इन सारी बातों को ध्यान में रखते हुए आप डोमेन नेम सिलेक्ट कर लें और मार्केट में होने वाले बदलाव और डिमांड पर भी अपनी नज़र बनाए रखें ताकि आप समझ सकें कि किस टाइम ट्रेंड में क्या चल रहा है, क्या पसंद किया जा रहा है और किसकी डिमांड ज्यादा है।
- दूसरा है डोमेन नेम खरीदकर रजिस्टर करवाइए। डोमेन नेम सर्च कर लेने के बाद बारी आती है उसे खरीदने और रजिस्टर करवाने की। इसके लिए आपको रेपुटेशन डोमेन रजिस्टर की जरूरत होगी। ये कंपनी होती है जो डोमेन रजिस्ट्रेशन के लिए ऑथराइज्ड होती है। इस कंपनी को चूज करते समय भी आपको इन बातों का ध्यान रखना चाहिए। रजिस्ट्रार की डोमेन ट्रांसफर पॉलिसी को जरूर पढ़ लें और कन्फर्म कर लें कि ये ट्रांसफर प्रोसेस कॉम्प्लिकेटेड। रजिस्ट्रार की फीस बहुत ज्यादा ना हो यह देखना भी जरूरी है। साथ ही एक्सप्लोरेशन पॉलिसी और डोमिन प्राइवेसी प्रोटेक्शन को भी समझ लें। उसके बाद ही डोमेन नेम को उस रजिस्ट्रार से खरीद कर रजिस्टर करवाइए। हर स्टेप पर अगर आप अवेयर रहते हुए खुद को लॉक से प्रोटेक्ट करते चलेंगे तो ही फाइनल रिजल्ट में आपको डोमेन सेल पर मैक्सिमम प्रॉफिट मिल सकेगा। आप चाहें तो डोमेन नेम को खरीदने और रजिस्टर करने के प्रोसेस को अलग अलग भी कर सकते हैं।
- तीसरा स्टेप है डोमेन नेम सेल करने के लिए उसका प्राइस सेट कीजिए। डोमेन नेम को खरीदकर उसका रजिस्ट्रेशन करवाकर आपने डोमेन नेम अपने नाम कर लिया है। अब बारी आएगी उसे बेचने की। लेकिन इतनी भी क्या जल्दी है पहले ये तो समझ लिया जाए कि डोमेन नेम को सेल करने के लिए उसका प्राइस कैसे सेट किया जाए जो प्रॉफिटेबल हो। तो अगर सक्सेसफुल डोमेन फ्लिपर से सीखना चाहे तो आप यह बात सीख सकते हैं कि डोमेन नेम को सेल के लिए लिस्ट करने से पहले आप रिसर्च कीजिए। उनकी मार्केट वैल्यू को चेक कीजिए और इसके लिए आप डोमेन मार्केट की रिसर्च करके पता लगाइए कि आपके डोमेन के सिमिलर डोमेन की सेल प्राइस पहले क्या रही है। इसके अलावा आप नेम प्रोसेस और डीएनएस फोरम्स जैसे डोमेन रिलेटेड फोरम को जॉइन कर सकते हैं और यहां प्रोफेशनल डोमेन से डिसकस करके बेस्ट स्ट्रैटेजी जान सकते हैं। इन फोरम्स पर डोमेन ट्रेंड्स के बारे में अपडेट्स भी आपको जल्दी जल्दी मिलती रहती है। फोरम के अलावा डोमेन अप्रेजल टूल्स का यूज करके भी आप डोमेन की लैंथ वोटिंग और एसईओ फ्रेंडली के बेस पर प्राइस का एस्टिमेट ले सकते हैं और उसके बाद प्राइस स्ट्रैटिजी सेट कर सकते हैं, जो कि फिक्स्ड प्राइसिंग भी हो सकती है और फ्लैक्सिबल प्राइसिंग भी हो सकती है।
- नंबर चार पर है डोमेन नेम सेल करने के लिए प्लैटफॉर्म चूज करें। डोमेन नेम की प्राइसिंग सेट करने के बाद बारी आएगी डोमेन को बेस्ट प्राइस पर सेल करने की। लेकिन आप ये कैसे कर पाएंगे? इसके लिए आपको एक प्लैटफॉर्म की जरूरत होगी, जो आपके डोमेन नेम को सेल करने के लिए प्रॉफिट प्लेस हो और इसके लिए कुछ डोमेन नेम सेलिंग प्लैटफॉर्म्स के ऑप्शन्स हो सकते हैं। डोमेन, शिपिंग मार्केट प्लेस और डोमेन ऑक्शन साइट जैसे गोडैडी ऑक्शन, फिलिपा नेम, चीप मार्केट प्लेस, ईबे आफ्टर नेक शैडो। इनमें से बेस्ट चूज करने के लिए भी आपको रिसर्च तो करनी ही चाहिए। इनके अलावा डोमेन ब्रोकर जैसे ग्रीड ब्रोकरेज के जरिए भी डोमेन नेम सेल किया जा सकता है।
- नंबर पाँच पर ही डोमेन को सेल कीजिए। डोमेन नेम सेल करने के लिए सही प्लैटफॉर्म चुन लेने के बाद आप अपने डोमेन नेम को सेल कर सकते हैं। इस प्रोसेस में आपको पेमेंट कलेक्ट करना होगा और डोमेन ओनरशिप ट्रांसफर करनी होगी। इस टाइम में आपको सेल ट्रांजैक्शन का ध्यान रखना चाहिए और इसके लिए आप एस्क्रो सर्विस का यूज कर सकते हैं। एक एस्क्रो एक ट्रस्टेड कंपनी होती है जो न्यूट्रल थर्ड पार्टी की तरह एक्ट करती है। ये बायर और सेलर को कनेक्ट करती है और ये इंश्योर करती है कि दोनों पार्टीज ट्रांजैक्शन टर्म्स के लिए एग्री करें। सीड्स ने जैसे मार्केट प्लेस और ऑक्शन साइट्स पर डोमेन सेल करने पर ये एस्क्रो सर्विस फ्री भी मिल सकती है और डोमेन की डायरेक्ट सेल कर रहे हों तो आपको एक एस्क्रो सर्विस खरीदनी पड़ सकती है। डोमेन को ट्रांसफर करने से पहले ये भी इंश्योर कर लीजिए कि डोमेन के प्राइवेसी प्रोटेक्शन को आप ने डिसेबल कर दिया है और डोमेन का कोई पेंडिंग या रिडेम्प्शन स्टेटस तो नहीं है।
अब अगर आपने इन फाइव स्टेप्स को सही तरीके से फॉलो किया होगा तो आपको डोमेन सेल करने पर जरूर प्रोफिट मिलेगा और जैसे जैसे आप इस एरिया की बारीकियों को एक्सपीरियंस करते जाएंगे आपके लिए अपने प्रोफिट को बढ़ाना भी आसान हो जाएगा क्योंकि आप एक्सपर्ट जो बन चुके होंगे। लेकिन आपको ये भी याद रखना होगा कि लगातार हर डोमेन नेम सेल पर प्रोफिट मिलते जाने का ये मतलब नहीं होगा कि अब आपको रिसर्च की जरूरत नहीं होगी। ये बात आप बहुत अच्छी तरह जानते हैं कि माकेर्ट कोई भी हो उसमें तेजी से बदलाव आते हैं। मार्केटिंग और प्रोडक्ट सेलिंग के तरीके तेजी से बदलते रहते हैं।
ऐसे में मार्केट की रिसर्च और अवेयर रहते हुए किया गया बिजनेस ही हमेशा सेफ बिजनेस और प्रॉफिटेबल सेल के चांसेस बढ़ा सकता है और डोमेन शिपिंग से फायदा मिल सकता है। वैसे डोमेन शिपिंग के कई सारे फायदे हैं जैसे इसे शुरू करने के लिए आपको ज्यादा इनवेस्ट करने की जरुरत नहीं होगी। बहुत ही कम पैसों में आप डोमेन नेम खरीद सकते हैं जो ₹100 में भी आ सकते हैं और कई बार उससे भी कम में और क्योंकि कोई भी कभी भी शुरू कर सकता है इसलिए इसमें कोई एज और नॉलेज बैरियर भी नहीं आता। हां लेकिन अगर आप जल्द से जल्द इस फील्ड की अच्छी नॉलेज लेना चाहते हैं तो इसके लिए आप यूटीवी जैसे कई प्लेटफॉर्म्स पर ऑनलाइन कोर्सेस कर सकते हैं, ताकि डोमेन रिसर्च, डोमेन वैल्युएशन नेगोसिएशन और नेटवर्किंग को समझ सकूं। और समझना तो आपको ये भी होगा कि ढेर सारे बेनेफिट्स और प्रोफिट देने वाले ये डोमेन शिपिंग कुछ रिस्क भी साथ लेकर चलती है जिससे अपना बचाव करते हुए आपको आगे बढ़ना है। ऐसे रिस्क ये हो सकते हैं फ्रेड माक्र्स क्योंकि यूं तो डोमेन नेम रजिस्टर करना और सेल करना लीगल होता है, लेकिन कुछ डोमेन नेम में उनकी ओनरशिप को लेकर की इशूज हो सकते हैं।
इसलिए डोमेन नेम खरीदने और बेचने से पहले उसके कॉपीराइट, एग्जिस्टिंग, कमर्शल नेम और डोमेन ब्लैकलिस्ट को जरुर से चेक कर लें। हर बार प्रॉफिट मिलना जरुरी नहीं है। इसके लिए तैयार रहें। क्योंकि कुछ डोमेन तो हो सकता है कि कुछ हफ्तों में ही बिक जाए लेकिन कुछ को सेल होने में महीने और साल भी लग सकते हैं क्योंकि इस इन्वेस्टमेंट के साथ भी प्रॉफिट की गारंटी नहीं आती और डोमिन शिपिंग से जो अर्निंग होगी वो टैक्सेबल भी होगी। दोस्तों इस वीडियो के जरिए आप ये तो समझ ही गए हैं कि डोमेन क्लिपिंग क्या है, कैसे की जाती है, इससे होने वाले फायदे और इसके रिस्क फैक्टर्स क्या हैं। तो आप अपने दोस्तों को ये बता सकते हैं कि डोमेन फ्रेमिंग इनवेस्टमेंट का एक प्रॉफिटेबल तरीका है जो फ्लेक्सिबल भी है और लो कॉस्ट में स्टार्ट किया जा सकता है। बिना एक्सपीरियंस के भी आप इसे शुरू कर सकते हैं।