What is Automation? Where Does it Use? And Why it is Important? Full Information in Hindi


The Automation 

इसी कॉंसेप्ट को चलिए डीटेल में समझते हैं.  इनदिस्रियल लेवल पर अगर किसी फैक्त्री को ले ieties popto level par agar kisi factory ko le  तो वहान प्रॉडख्षिन के लिए एक स्टार्ट पोईंट और एक फिनिश पॉम्ट होता है. to wahan production ke liye ek start point aur ek finish point hota hai. स्टार्ट पऊइंdt से राव मटीरियलस को bad start point se raw materials ko मेंन्यल प्रॉसस में होते हैं वर्कर्स या लेबर्स जो हातों से चीजों को अनजाम देते हैं  वहीं Auromatic process mein workers तो होते हैं पर ज़धदर काम Automatic Tools, Robotics, Arms या Computerized सिस्टम करते हैं यहाँ Work Posts Supervisor की तरह काम करते हैं और Quality Control पर ध्यान देते हैं सब्बूस आप कपकेक्स का बिजनस शुरू करना चाहते हैं.  या तो आपको ये सारा काम हातों से कराना होगा,  मसलं केक का बैटर त menyak kaa batter tyaar karna,  खेक के सांचे में बैटर डाळ Tutaj lecture ke saanche mere batter dalna, उनकी बेखिएंग करना। unki baking karna.




कुछ वर्कर्स हायर करते करवा सकते हैं।  यहां आपकी प्रदक्शन केपैसिटी  एक लिमिटेड आउटकम देगी।  इकजांपल के लिए आप पूरे दिन के एक हजार  कपकेक्स बना रहे हैं।  लेकिन जैसे जैसे आपका बिजनस ग्रो करेगा, तब आप आउटमाटिक प्रोसेस की और बढ़ सकते हैं। आप एपनी फैक्टुरी में आउटमाटिक टूल्स लगवाए,  जहां केक का बैटर एक आउटमाटिक आम तयार करेगा।  उसकी क्वालिटी, क्वांटिटी और टेमपरेचर  आउटमाटिक टूल्स लगवाए।  प्रोड़क्षन लाइन पर केक के सांचे में  बैटर आउटमाटिक टूल्स लगवाए और उनकी बेकिंग भी, एक कंप्यूटराइस्ड सिस्टम की निग्राणी में होगा।  फिर पैकेजिंग हो या लेबलिंग,  सब कुछ आउटमाटिक मशीनरी करेगी।  अब आपकी फैक्टरी का आउटपूट  एक हजार से पाँच हजार  कपकेक्स पर दे या उस से  जादा हो जाएगी। इस तरह आप मार्केट में डेमांड और सप्लाइ की बराबरी कर पाएंगे। चीजो को  आउटमाटिक प्रोसेस पर लाने का फाइदा ये होता है  कि किसी भी प्रोड़क्षन लाइन पर  एफीशियन्सी, स्पीड और एक्यूरेसी  बढ़ जाती है क्योंकि इंसान से गलती  भी हो सकती है और ह्यूमन कपसिटी  की लिमिटेशन होती है अगर बैटर बनाने में किसी भी इंग्रिडियंट

की कॉंटिटी कम या जादा होई  तो क्वालिटी बिगढ सकती है  और टेस्ट में फर्क आ सकता है  कि कम या जादा बेक हुआ हो  तो पूरा बैच कैंसल हो सकता है  ऐसा हुआ तो बिस्सनस बिगढ सकता है  आपकी इंग्रिडियंट बेकार चली जाएगी यहां तक कि वैल इस्टेबलिश्ट रेप्यूटेशन खराब हो सकती है  और इसका डेरिक्ट फाइदा  आपके कॉंटिटीटर को होगा  तो आटो मुबाईल इंडिस्ट्री, ओयल और गैस,  स्टील प्लांट, FMCG, टेक्स्टायल,  शीपिबों और लोगिस्टीक, ऑस्तेध्य  है और सभी लगवग हैवी और मिड-सायस इंडिस्ट्री में अटो मैटिक क्रॉसेस अस्थेमाल हो रहा है  अटो माटिक क्रॉसेस के साथ  किसी भी factory में employees कम हो जाते हैं और machinery बढ़ जाती हैं  Automatic Tools Production Speed, Efficiency और Accuracy बढ़ा देते हैं गल्तियां कम होने लगती हैं और नुखसान होनी की संभावना कम हो जाती हैं चीज़े systemized हो जाती हैं, factory floors neat and clean रहते हैं, लोगों में जगडे नहीं होते हैं  यहां तक कि strike या हरताल जैसी चीज़े भी minimize हो जाती हैं अगर काम का pressure रहा तो आप automatic process से हफ़ते के साथो दिन और पूरे साल production करवा सकते हैं Automation की बात करें तो ये एक large concept है और इसे समझने और implement करने के लिए  Automation Pyramid नाम की theory यूस की जाती है  यहां पर पाँच level से जिनने नीचे से उपर के क्रम में discuss करेंगे तो आईए जानते हैं कि क्या है Automation Pyramid

Automation  Category And It's Level 

सबसे lower level है field level ये उन devices, sensors, tools और machinery को describe करता है  जो किसी production में floor level पर होते हैं Electric motors, hydraulics, switches, control panels, scanners, robots ये सभी field level पर दिखाई देते हैं Actual physical work इन ही से करवाया जाता है  अगला level है control level यहां पर PLC यानी  Programmable Logic Controller और PID यानी  Proportional Integral Derivatives अपना role play करते हैं Field level के सभी devices और equipment को PLC और PID ही control करते हैं Field level के सभी devices और equipment से input और information लेकर control level पर decision making होती है  Output decide होता है और pre-programmed task perform करवाया जाता है PLC के अंदर ही PID यानी Proportional Integral Derivatives control डाला रहता है

इन ही से मिलती है वैल्यू और तै होते है parameters  इसका एक common example है Automatic cars  जब car की steering आपके हाथ में होती है तो आप steering में बने switches से जो command देते हैं Computer के sensors उसे हिसाब से पूरे engine को control करते हैं जैसे luxurious car में normal mode driving और sports mode driving होती है  आप जो button दबाते हैं engine को उसे हिसाब से power मिलता है  PID यानी Proportional Integral Derivatives क्या है इसका logic क्लियर करना हो तो robotic के उपर हमारी documentary जरूर से देखिएगा उसमे PID को अच्छे से describe किया गया है  अगर industrial PID control को देखे तो एक common PID है heater  जब इसे on कर दिया जाता है तो system को पता होता है कि कभ temperature को कम करना है बढ़ाना है या एक set value पर consistent रखना है

Automation Pyramid का अगला level है supervisory level  Control level में जहां PIC होते हैं वही इस level में होता है  SCADA यानी कि SCADA इससे supervisory control and data acquisition कहते हैं दोनों previous level से SCADA collect करता है और data and information SCADA में graphical user interface और human machine interface होते हैं  जिनसे remotely devices को control किया जाता है  जैसे कि water supply plants में SCADA use होते हैं जिनकि मदद से  दूर से ही water pumps को चालू या बंध किया जा सकता है SCADA की सबसे बड़ी खुबी यह है कि इससे multiple systems को control किया जा सकता है Supervisory level की उपर होता है planning level  यहाँ पर एक computer management system होता है जिसे MES या  Manufacturing Execution System कहते हैं  MES के हाथ में ही किसी plant में पूरा manufacturing system होता है मतलब raw materials डिसाइड करने से लेकर के final output तक सब कुछ MES डिसाइड करता है  MES की चलते ही management को पता चलता है कि factory या  manufacturing unit में क्या हो रहा है और वही से better decision making होती है  सिस्टम से जो भी data मिलता है उसी को analysis करके management company की manufacturing policies तेय करती है

सबसे top level पर होता है management यानि कि board of directors  managing directors, CFO, CEO बगए रहे है  management को ERP या enterprise resource planning भी कहते हैं  ERP basically computer system होता है जहांसे बाके सभी levels को integrated रखा जाता है यहीं से manufacturing, sales, purchase, investment control होता है  और रखी जाती है transparency ताकि पूरी company  same direction में काम कर सके और achieve हो  वो ultimate goal जो company का target होता है अगर आप कोई manufacturing plant लगाने जाएंगे तो आपको types of automation को समझना ही पढ़ेगा  जो आपको अपने plant को समझने में मदद करेंगे  और आप अपनी investment का भी हिसाब लगा पाएंगे  और किसी particular machine की value को समझ पाएंगे  तो basically automation तीन तरह के होते हैं इने भी एक एक करके समझ लेते हैं सबसे पहले है fixed automation  जिसे hard automation भी कहते हैं  यहाँ processing और assembly के बीच लगने वाले equipment को  fixed automation कहते हैं  जिनने ignore नहीं किया जा सकता  यहाँ sequential process को follow किया जाता है मतलब एक के बाद दूसरा ही आएगा तीसरे पर jump नहीं किया जा सकता  जैसे रोटी बनानी के लिए आप डबडे से आटा निकालते हैं  उसे गूंथते हैं, उसका डो बनाते हैं, बेलते हैं  और फिर तवे पर डालते हैं  यहाँ अगर बेलने के प्रोसेस को ना किया जाए तो मतलब आटे के डो को हाथ से फैलाईए या बेलन से गोल कीजिए बेलना तो पड़ेगा ही, इससे आप jump नहीं कर सकते  मतलब fixed automation एक sequence को follow करता है  fixed automation के examples है  automated assembly machines, chemical manufacturing processes  material handling, conveyor systems paint and coating automation process वगए रहे है

तो आपको cupcakes वाला business याद है न  अगर किसी भी एक production process को आप  minimize करेंगे तो आपका काम विगडेगा या time जादा लगेगा  और quality से compromise करना पड़ेगा Automobile Industries में ज़ादधर fixed automation ही use होता है, इसके बाद अगला type of automation है  programmable automation, इसे किसी भी sequence  of operation की बीच में ज़रूरी बदलाव करनी के लिए  implement किया जाता है, programmable automation को  manual change over automation भी कहते हैं, production configuration के हिसाब से assembly line पर ये  changes किये जाते हैं, जैसे कि अगर आप किसी धावे पर गए और आपने आलू पराठा order किया, अब उस बड़े size के पराठी के लिए, छोटे तवे को हटा कर  एक बड़ा तवा चूले पर रखा जाता है, और  बाहू बली पराठा demand के हिसाब से पका दिया जाता है,  तो यही है programmable automation, construction sites पर  engineers और electricians जो  tools यूज़ करते हैं, वो भी programmable automation का  example है, हाथ में drill machine तो same होती है,  बस requirement की हिसाब से drilling bits को बदला  जाता है, और speed को adjust कर दिया जाता है, अब आगे तीसरा automation है flexible

automation, जिसे soft automation भी कहते हैं,  यह programmable automation का extension होता है,  जिसमें fixed automation की भी features होते है,  part processing machines जैसे computer numerical  control equipment में इस तरह के features होते है, inspection करने वाले automated work stations में  Hmmm flexible combination होता है, flexible automation  में machines को manage, repair और maintain करने के  लिए human level supervision की भी जरूरत पड़ती है,  flexible automation का बढ़िया example है automated packaging machines, single pieces of candy wrap करने से लेकर के बड़े package wrap करने तक  packaging machine को manufacturer और distributor की  जरूरत के हिसाब से customize किया जाता है,  अब सवाल यह भी आता है कि क्यों कोई अपने  production को automate करे, मतलब manual भी तो सही है, तो इसका जवाब है कि automation से business को digital transformation में मदद मिलती है, market में  demand और supply को meet करने के लिए automation पर  जाना सरूरी है, आज दुनिया भर में जिस तरीके  से online shopping बढ़ी है, अगर कोई employee  हातों से products की packaging करने बैट जाए, तो एक दिन में हजारों लाखों customers तक सामान की

delivery में देलिवरी हो सकती है, पर automation से  मिलता है एक support system जिसके चलते company के  employees ज़ादा critical चीजों पर दिमाक लगाते हैं,  innovative products निकल कर आते हैं और faster service possible  हो पाती है, जैसे कि हमारे घर पर पहले hand pump होते थे, फिर चट पर पानी की टंकी लग गई और hand pump से एक motor जोड़ दी गई, पानी सीधे  उपर और आप hand pump से आजाद, मतलब manually पानी बढ़ने में लगने वाले time को अब आप इसके लिए चलते, manufacturing industry automation पर  shift गई है, जब सारा काम एक आपार होना है, तो  इसानी हाथों को क्यूं तकलीफ देना, machine लगवाएए  और ज़ादा output पाईए, उनसे आप over time भी करवा  सकते हैं, वो भी बिना छुट्ती दिये, automation से मिलता है better control, ज़ाधा human force यानि और अटोमेशन के साथ भी ऐसा ही है। अटोमेशन का सबसे बड़ा चालेंज है कॉस्ट। ये आपका काम आसान बनाती है पर उसके लिए चाहिए हुझ सेट अप, जिसके लिए लाकों करूडों की इंवेस्ट्मेंट करनी पढ़ती है। पहले मंदिर में धूल, नगारे और घंटा लोग हातों से बचाते थे पर आजकल आटोमेटिट सिस्टम से इन्हे बजाना असान हो गया है। पर एक वन टाइम इंवेस्ट्मेंट और बिगर्णने पर मेंटिनेंस कॉस्ट तो लगता ही है। आटोमेशन का मतलब इंटेलिजस्ट्रे 

पर परवाराण कर सकता है। आज आटोमेशन हर कहीं है।  IT आटोमेशन, बिजनस आटोमेशन, रोबोटिक प्रोसस आटोमेशन,  जिस पर अल्लीडी हमारी टीम डौक्यूमेंटरी बना चुकी है। इंडिस्ट्रियल आटोमेशन, आर्टिफीशल इंटेलिजन्स, मशीन लर्णिंग और डीप लर्णिंग बगे रहे हैं। अब इन ही वेरियस आटोमेशन का इंप्लिमेंटेशन देख लेते हैं। आटी आटोमेशन को सिंपल आटी टास्क से लेकर क्लाउड और एच कंप्यूटिंग, सिक्यॉरिटी टेस्टिंग, मॉनिटिरिंग और आल्टरिंग सिस्टम तक में यूज किया जाता है। अब देखा जाए तो डिजिटल टेकनोलोजी बहुत तेजी से एवाल्ब हो रही है और इसे से मार्केट और इंडॉस्ट्रीज में आ रहा है रेपिट चेंज। इन्हें काम लाइक बनाने के लिए डेटा माइनिंग, डेटा स्टोरेज, मैनेज्मेंट, डेटा ट्रांसफर के लिए आईटी के प्रोसस का ओर्टो मेटिट होना ज़रूरी है। अब बात करते हैं बिस्नस और्टो मेशन की जहां टेकनोलोजी को प्लाइ करते हुए रेपिटेटिव टास्क करने पड़ते हैं और इम्प्लॉईज को फ्री कर दिया जाता है ताकि वो हाईर वैल्यू वाले काम कर सके। इसमें बेसिक और सिंपल टास्क को बहुत कम कोडिंग या ना के बराबर कोडिंग से आटो मेटिट किया जाता है। इसमें बेसिक और सिंपल टास्क को बहुत कम कोडिंग या ना के बराबर कोडिंग से आटो मेटिट किया जाता है। इसमें बेसिक और सिंपल टास्क को बहुत कम कोडिंग या ना के बराबर कोडिंग से आटो मेटिट किया जाता है। जब कस्ट्मर अपना प्रॉबलम बताता है तो कस्ट्मर सर्विस एजिन्ज जो अजे, विजे, सीता, गीता कोई भी हो सकता है, वो अपकी डेटेल्स अपने कम्प्यूटर स्क्रेन पर देखते हैं। और आपको SMS और WhatsApp अलर्ड भेजना, सब कुछ RPA सिस्टम ही करता है। अगला आटोमेशन है इंडिस्ट्रियल आटोमेशन। अगला आटोमेशन ही करता है इंडिस्ट्रियल आटोमेशन।

हर रोज लाख हो लोगो का लंगर चलता है।  वहां भी एक अटोमेकिक रोटी मेकिंग मशीन है और वो भी इंडिस्ट्रियल आटोमेशन है।  अब बारी आती ہے artificial intelligence यानी की AI automation की, जिसे automation की दोनिया में one of the most-complex level of automation कहा जाता है। उटोमेशें में artificial intelligence को जोरने का मतलब है तो,  machines अपने अप अपने previous-learning experiences सिखेंगे।  Past situation पर बेस करके decisions लेंगे, यूट्यूब पर आपने क्या वीडियोज देखे हैं उसी डेटा को कलेक्ट करके आपको वैसी ही प्लेलिस्ट रेकमेंट की जाती हैं। तो ऐसा कौन करता है? ऐसा करता है AI Enabled Software.  Artificial Intelligence यानि की AI Automation का ही एक पार्ट है. Machine Learning जो एक जेनरल टर्म है जिसे Extensive Collection of Algorithms को डिस्क्राइब करने के लिए यूज किया जाता है। इससे Computer System को Past Data के Patterns ऐडिन्टिफाई करने में और Future Result प्रिडिक्ट करने में आसानी होती है।  Computer Vision और Natural Language Processing दोनों में ही Heavy Machine Learning यूज होती है। तो कभी आपने ये सोचा है कि कैसे होती है Machine Learning? आये समझते हैं। Machines को सिखाने के लिए बहुत से Self Teaching Programs यूज होते हैं जो तीन तरह की Basic Machine Learning के उपर Based होती हैं। पहला Unsupervised Learning, दूसरा Supervised Learning और तीसरा Reinforcement Learning।

ये मैथर्ड सभी Patients के Medical Profiles को Analyze करने के लिए आईडियल है, ताके इनके भी Similarities और Useful Patterns ढूंडे जा सके। हो सकता है कि कई Patients को एक ही तरह की बिमारियां हो या लाज के दौरान उन्हें एक ही तरह के Side Effects हो रहे हो। इस तरीके से कोई मशीन बिना किसी Human Guidance के Patients के Profile और Emerging Patterns में Similarities ढूंडना सीखता है।  अब क्या हुआ अगर Doctors को कुछ और Specific जानकारी चाहिए तो? अगर Doctors को कोई Particular Condition Diagnose करना है तो वो Healthy Patients और Diagnosed Patients दोनों के Two Data Set को Collect करेंगे। इसके उपर प्रोग्राम उन Features में कुछ Value Assign करेगा।  साथ ही ये प्रोग्राम Future Diagnosis के लिए एक Algorithm भी बनाएगा।  अब आगे क्या होगा? इसमें Doctors और Computer Scientist का एक रोल रहेगा। इसलिए इसे Supervised Learning कहते हैं।

Dr. Final Diagnosis करेंगे और Result की Accuracy Algorithm की Prediction से Compare करेंगे।  इसके बाद जो Result आएगा उसे Computer Scientist डेटा बेस में Update कर देंगे।  ताकि System की Accuracy बढ़ जाए।  यही है Supervised Learning। अब मान लीजिए कि Doctors की Team एक और Algorithm पर काम कर रही है। जिससे Treatment Plan का Recommendation मिलें।  तो ऐसे Plans को Stage by Stage Implement किया जाता है और Individual Patient के हिसाब से इलाज अलग हो सकता है।  ऐसे में Reinforcement Learning को Implement किया जाता है। यहाँ Iterative Approach अपनाई जाती है यानि किसी Process को बार बार दोहराना। ताकि किस तरह की दवाया, Doses और Treatment अपनाया जाना चाहिए वो पता चले।  फिर इस Data को हर Patient की Profile से Compare किया जाता है।  इस से निकल कर आता है एक Unique इलाज का Plan। जैसे जैसे इलाज की Progress होती है तो जादा Feedback मिलने लगते हैं और इस तरीके से। लगातार हर Patient के लिए Treatment Plan Update होता रहता है।  ये तीनों तरीके ही अपने आप में पूरी तरह से कारगर नहीं होते।  तीनों में ही कम या जादा Human Intervention की ज़रूरत पढ़ती है। लेकिन इन तीनों को एक साथ जोड़कर Scientist डिवलब करते हैं। जब आतिफिशल इंटेलिजन्स के बारे में हमारी इंडेपेंडेंड डॉक्यॉमेंटरी है, उसे ज़रूर से देखियेगा।  AI के बारे में सारे लोजिक्स और कण्सेप्स आपके एक दम क्लियर हो जाएंगे।  अब आते हैं Deep Learning पर जो Subset of Machine Learning है। ये एक Neural Network होता है जसके तीन या उससे ज़ाधा Layers होते हैं।

Neural Networks का काम होता है इंसानी दिमाग की तरह बहेव करना।  जो Large Amount of Data को खुद ही Learn करता है।  Neural Network का एक Single Layer ही Data Analysis के बाद Predictions करने में केपेबल होता है। और उससे बागी Hidden Layers उस Prediction को Optimize और Refine करके सिस्टम की Accuracy इंप्रूव करते हैं।  Artificial Intelligence की मदद लेकर Deep Learning इंप्रूव करता है। Automation, Analytical और Physical Task परफॉर्म करता है। बिना किसी Human Intervention के Deep Learning Technology हमारी Day-To-Day Life को इंप्रूव करती है। और Technology पर हमारी Dependency बढ़ाती है।  रोज मर्रा के जिन्दगी में यूज होने वाले प्रड़ाक्स और सर्विसेज जैसे  Voice Enabled TV Remotes, Voice Command Searching, Credit Card Fraud Detection और Emerging Technologies जैसे Self-Driving Cars में Deep Learning डाली जाती है। Automation को समझने के बाद करियर को Discuss करना तो बनता है।  अगर आप Industrial Automation Jobs में अपना करियर देख रहे हैं  तो फिलहाल मैं आपको बताने जा रही हूँ  Leading Industrial Automation Job Types जिसके बाद आपको खुद के लिए इस Industry में Suitable Job ढूंडना आसान हो जाएगा और आप दूसरों को Recommend भी कर पाएंगे।  सबसे पहले बात करते हैं Automation Technician की  तो इनका काम होता है Routine Diagnostic Checking करना,  Electrical Instruments को Repair और Maintain करना,  Electrical Wiring करना और Mechanical Plumbing करना. एक Automation Technician के Skill Set की बात करें तो ये


Electronics, Machines और Programmable Logic Controller के जानकार होते हैं.  अगला Job Type है Field System Engineer.  इन्हे On-Site Travel करना पड़ता है और अपने Customers को Technical Directions देने पड़ते हैं. Installations करवाने पड़ते हैं, Computer Programming में आगला Job Type है Field Related Adjustment करने पड़ते हैं.  और Automated Equipment की Commissioning भी इनको देखने पड़ती है.  वैसे हमारी लिस्ट में अगला है Automation Engineer.  इनका काम होता है Automated Machines को Design, Program, Simulate और Commission करना. साथी Plant पर Process Related Jobs भी यही Monitor करते हैं. Company कितनी बड़ी है उस लिहास से.  इनने एक, दो या फिर यह सारे काम देखने पड़ते हैं.  हमारी लिस्ट में अगले Professionals है Industrial Automation Sales Engineer जो Automation Engineer की सारी Jobs और Duties करने में सक्षम होते हैं. साथी Field System Engineer और Technician की Additional जम्मेधारी भी लेनी पड़ती है.

इनके पास Automation Solutions की Sales कैसे करनी हैं?  उसका Development Plan और Execution Ideas भी होते हैं.  अब अगर इनकी Earning की बात करें तो यह Depend करता है कि आप किस देश में काम कर रहे हैं. पर Global Economy को देखें तो USA और Germany में Automation Jobs की बहुत Demand है. Automation Engineer की Average Salary USA में लगबग $90,000 सालाना और Germany में £81,000 सालाना होती है.  यह Candidate की Knowledge, Skill और Experience के हिसाब से कम और साधा हो सकती है. इंडिया में यह 2,00,000 से 11,00,000 रुपए तक हो सकती है और Average Salary 5,00,000 रुपे सालाना हो सकती है. Job Types तो हमने देखी लिया.  अब जरा उन सवालों की और रुख करते हैं जो Industrial Automation Jobs में.  एक Candidate से आम तोर पर पूछी जाती है.  मतलब हम यहाँ पर आपको सिर्फ Documentaries ही नहीं दिखाते, Job Interview की तयारी भी करवाते हैं. तो यह सवाल काफ़ी Expert Advice और Research के बाद निकल कर आये हैं. और यहीं पूछे जाएंगे इसकी Security नहीं है पर Possibility है.  तो इनके अलावा भी अपनी तयारी मस्बूत रखीएगा.  तो Automation Engineer Interview में एक Candidate से पूछा जा सकता है कि बताईए,  IEC 1131 वाले 5 Programming Languages कौन-कौन से हैं? जवाब है Instruction List, Structured Text, Letter Diagram, Function Block Diagram,

और Sequential Function Chart.  बढ़ते हैं सवाल नमबर 2 की और,  PID Based Control System को Explain कीजिए.  जवाब है,  PID को Close Loop Control में उसकिया जाता है.  डोक्यॉमेंट्री में Automation Pyramid को Discuss करते हुए PID का जिक्र आ चुका है. आप उसे दुबारा देखिएगा.

तीसरा सवाल हो सकता है,  PLC और DCS की बीच क्या डिफरेंस है?  जवाब है,  PLC और प्रोग्रामेबल लोजिक कंट्रोल और अटोमेटिट सिस्टम में,  एक कंट्रोल करता है.  वहीं,  DCS और Distributed Control System, PLC जैसा ही होता है. और, एक साथ Multiple Computer Systems को Control कर सकता है.  आपकी स्क्रीन पर अगला सवाल है,  Encoder क्या है?  इसका जवाब है,  Encoder एक रोटरी डिवाइस है, जो एंग्यूलर मोशिन में डिजिटल पल्स का अउट्पूट जेनेरेट करता है. एंकोडर में एक वील होता है,  जिसमें Alternating Clear Strips होते हैं,  जिसके अंदर से Optical Sensors गुजरते हैं,  अगला सवाल है,  आटोमेशन में यूज़ होने वाले अलग-अलग components कौन-कौन से हैं? तो जवाब ये रहेगा कि, सबसे पहले होते हैं Sensors,  जो की Temperature, Pressure और Heat Sensors होते हैं,  फिर आते हैं Transmitters,  जो की Raw Signals को Control System में भेजते हैं,  Control System में होते है,  पील-सी, पी-ऐ-डी, डी-सी-स और Output Devices. इनके लावा होते है, Accutators, Drives और Control Valves.  पिलहल ये पाँच सवाल ही रहने देते हैं,  क्योंकि सारे सवाल डिसकस करने के लिए,  अलग से डॉक्यूमेंट्री बनानी पढ़ेगी.  तो अगर आटो मेशन की पढ़ाई करनी है,  तो जेके लक्षमीपत युनिवोसिटी जैपुर, आई-ऐ-टी कानपुर, आई-सी-एफ-ए-ऐ-टेक हेद्राबाद, School of Engineering, University of Petroleum and Energy Studies, देहरादून,  श्री निवास युनिवोसिटी, मैंगलोर,  केजी सोमाया कॉलेज औफ इंजिनियरिंग मुंबई से डिग्री ले सकते हैं,  इनके अलाबा देश भर में ऐसे धीर सारे इंस्टिट्यूट से, जोने आप अपनी सुविधा के हिसाब से चूस कर सकते हैं. अब एक और सवाल, अच्छिली मैं कुछ जादा ही सवाल पूछती हूं,  हाँ लेकिन क्या करें, किसी जगे पहुँचने के लिए सवाल बहुत जरूरी है,  आपको हॉलिबूड मुवीस पसंद हैं,  अगर हाँ तो आपने अर्नॉल स्वैचिनिगर की टर्मीनेटर सीरीज वाली मुवी, टर्मीनेटर 3, राइज ओफ दे मशीनस तो जरूर से देखी होगी. अब ये राइज ओफ दे मशीनस जो टर्म्स यूज की गई है,  क्या आटो मेशन की चलते हम भी उसी इरा की और बढ़े रहे हैं?  चलिए पता करते हैं.  आज आटो मेशन की चलते मशीनस एरक्राफ्ट को सेफली लेंड कर सकते हैं, कैंसर का पता लगा सकते हैं, और स्टॉक मार्केट प्रेडिंग कर सकते हैं.

हम अक्शली ऐसे आटो मेशन एज की और बढ़े रहे हैं जैसा पहले कभी नहीं देखा गया है.  2013 में USA में एक स्टडी की गई थी, जिसमें कहा गया था कि अगले दो दश्चों में, यानि 2033 तक USA में सभी तरह के जॉब्स का आधा काम, आटो मेशन से रिपलेस हो जाएगा. पर आप सोच रहे होंगे कि आटो मेशन तो काफी टाइम से मौजूद है, तो इस बार ऐसा क्या खास है? तो ह्यूमल सिविलाइजेशन के अतीत को देखे तो पहले चीज़े बहुत सिंपल थी, पर इनोवेशन के चलते चीज़े आसान होती गई और प्रड़क्टिविटी बढ़ती चली गई. इन इनोवेशन के चलते बहुत से जॉब्स गए पर साथ ही नए तरह के जॉब्स भी क्रियेट हुए, इससे लोगों का लिविंग स्टांडर्ड भी बहतर हुआ, मतलब एक लंबे समय तक हम सिर्फ खेती और किसानी करते रहे, पर इंडिस्ट्रियल रेवल्यूशन के चलत के लिए प्रड़क्शन जॉब्स बढ़े और आटोमेशन का विस्थार होता चला गया। इस तरह से आगे बढ़ते बढ़ते हम इन्फुमेशन एज में आप पहुंचे और हमारा काम, मशीनस हम से और खुद से भी ज़्यादा तेजी से करने लगे। यह हमारी चिंता हमारी मदद के लिए ही था, है ना? पर सच तो ये है कि नई इंफुमेशन एज में इंडिस्ट्रीज जैसे जैसे ग्रो कर रही है, नई जॉब ओपरचिनिटीज उतनी ही कम क्रियेट हो रही है। अगर सो सालों का इतिहास देखे तो इनुवेशन के बावजूद भी, यहां नई जॉब्स बहुत ही कम क्रियेट हुई, लेकिन एलेक्ट्रिक कार्स अब धेर सारे नई जॉब्स क्रियेट करेंगी। टेकनिकल इनुवेशन में इंटरनेट को ही ले लीजिये, तो इसने नई जॉब्स क्रियेट की और यह बढ़ती पॉप्युलेशन के लिए काफी कम है। मतलब जितनी जॉब किलिंग हो रही है उसकी भरपाई नहीं हो रही है। ब्लॉक बस्टर नाम की कंपनी रेंट पर डीवीटी प्रोवाइड करती थी और 2004 में अपने पीक पर इसने 84,000 इंप्लोईज के साथ 6 बिलियंड डौलर का मुनाफ़ा कमाया। 

वहीं 2016 में Netflix ने सिर्फ 4,500 इंप्लोईज के साथ 9 बिलियंड डौलर कमाये। जबकि टीवी चैनल में इस से भी ज़ादा इंप्लोईज होते हैं, मतलब इंफुमेशन एज में हो रहे हैं, इनोवेशन से ज़ादा जॉब क्रियेट नहीं हो रहे हैं। प्रिटिकल टास्क भी इनके बस का हो गया है। और इनसान इनमें खुद को इसपेशलाइस्ट भी नहीं कर पा रहे है। ऐसा लग रहे है कि मशीनस के आगे हम पूरी तरह से आउग्डेटड हो जाएंगे। अब सवाल ये है कि मशीनस को ये काबिल्यत कैसे मिलें। जवाब है मशीन लर्निंग जिसे थोड़ी दिर पहले हमने डिसकस भी किया था। ये डेटा पैटर्स एनलिसिस करके खुद ही सीख रही हैं। मतलब ओनलाइन आगर आगर जोते पसंद आ गए तो आपको वैसे ह ठीड़ सारे परड़क्स के रेकमेंडेशन आने लगेंगे। मशीन लर्निंग दिन पर दिन और बहतर होती जा रही है क्योंकि हम लगबख हर चीस के बारे में डेटा गैधर कर रही है। जॉब किलर्स और कई केसिस में ये फ्री तु यूज हैं। अब जब ये इंप्रूव हो रही है तो हमें बस इनकी कोडिंग बदलनी पड़ती है। फिजिकल चेंजिस जादा नहीं करने पढ़ रहे हैं। इस तरह से फास्टर आउपट देने वाले फ्रीलांस केंडिडेट्स को रखा गया और बाकियों को हटा दिया गया।  तो मिडल एजंट की जॉब गई और कुछ फ्रीलांसर की।  कमपनी ने देखा कि उसका 50% खर्चा कम हो गया। इस तरह से कमपनी ने अगले साल और 25% की कोस्ट कटिंग कर ली।

इसी तरह रगबग हर एरिया में हर फिल्ड में मशीन से बहतर साबित हो रही है।  फार्मासित से लेकर के रेडियो लॉजिस्ट, एनालिस्ट से लेकर के प्रोग्रामर्स,  कैशियर्स से लेकर के बैंक टेलर्स यहां तक की।  अनिस्किल्ड जॉब में भी आटो मेशन आ गया है। इनकी चलते रात और रात जॉब्स की कमी हुई है। बच रहे हैं सिर्फ गिने चुने लोग।  अब नतीजा ये निकल रहा है कि बढ़ते आबादी के लिए हमें  नए जॉब्स बहुत तेजी से निकालने पड़ेंगे। पर पुराने जॉब्स को नए जॉब्स से सब्स्टिटूट करना सिलूशन नहीं है। 21st century के पहले 10 सालों में बढ़ती आबादी के लिए हर महिने  सिर्फ USA में ही 1.5 लाग जॉब्स की ज़रूरत थी पर ऐसा नहीं हुआ।  इस से standard of living पर जबरदस्ट असर पड़ा। Information age में जब innovation होना शुरू हुआ तब ज़ाधा जॉब्स create हुए और standard of living बहतर हुआ. पर 2005 में अगर पूरे देश के आबादी  ने suppose एक लाख घंटे काम किया और productivity 50% बढ़ा दी  तो 2020 आते आते भी एक लाख घंटे ही काम हो रहा है जबकि इन 15 सालों में आबादी काफी बढ़ चुकी है। जैसा पहले कभी नहीं देखा गया. सालों पहले शुरू हुआ ये दौर अभी भी जारी है  जहाँ ये साफ दिख रहा है कि machines और automation हमारा काम  हमारी job ज़रूर से छीन लेंगे. Global economy consumers और consumption पर based है पर अगर लोगों के पास काम ही कम होगा तो production तो चलता रहेगा. पर consumers और buyers कम हो जाएंगे.  Consume वही करेंगे जिनके पास पैसा है. इससे होगा ये कि अमीरों के पास  पैसा होगा, automation और machines को control करने के लिए और वो पूरी दुनिया को control करेंगे. 

उमीद करते हैं automation दुनिया भर कि societies को change करेंगे और equality लाएंगे. इसलिए ऐसे laws और  rules की ज़रूरत हैं जहांपर हम इंसानों के लिए कम से कम एक  universal basic income हो. क्योंकि rise of the machines वाली थियोरी के हिसाब से machines and automation आ नहीं रहें बल्कि आ चुके हैं.




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