कहते हैं एक सफल आइडिया जैसे लाइट बल बिया प्रिंटिंग प्रेस दुनिया बदल सकते हैं। लेकिन कवी-कवी ऐसा हुता है कि नाकाम होगे आइडिया भी दुनिया बदल देते हैं। यह सिर्फ एक बार नहीं हुआ है। कई बार ऐसे मौके आए जब ऐसे विचारों ने दुनिया बदली जो अपने समय में सफल नहीं हो सके थे। माउस बनाने वाले डगलस एंगल बार्ट को महसूस हुआ कि जिस तरह लोग नए कंप्यूटरों का इस्तिमाल कर रहे हैं वो प्रभावशाली तरीका नहीं है उस दौर में माॉस मौजुदा दौर के वीडियो गेम की जॉय स्टिक सरीकी डिवाइस हुआ करती थी इस डिवाइस को इस्तिमाल करना आसान और सहज नहीं हुआ करता था एंगल बार्ट ने इसका समधान निकालने के लिए बग नामक एक डिवाइस बनाई जिसमें दो गोलाकार पहीं हुआ करते थे जो कम्प्यूटर पर दिख रहे करसर को नियंत्रित करते थे।
साल 1966 में नासा ने एंगल बार्ट के अविशकार का इस्तिमाल किया और इसे काफी प्रभावशाली माना। इसके दो साल बाद एंगल बार्ट ने सैंट-फ्रांसिस्को में अपने साथ ही अविशकारक बिल्ड इंगलिश के साथ मिलकर एक हजार लोगों के सामने एक डिवाइस का डेमो दिया। इसे माॉस कहा गया। एंगल बार्ट और बिल इंगलिश को लगा कि उनके हाथ खजाना लग गया। लेकिन कुछ ही समय में ये खुशी चूमन्तर हो गयी। पाँच साल के अंदर एंगल बार्ट को निवेश मिलना बंद हो गया। उनके टीम के ज्यादातर सदस्य स्टैनफर्ड छोड़ कर चले गए। इन में बिल इंगलिश भी शामिल थे जिन्होंने जिरॉक्स में काम करना शुरू किया। साल उनिस्सोन्यासी में एक श्रक्स ने जिरॉक्स का रिसेर्ज सेंटर देखने भर के लिए अपने पास मौजूद जिरॉक्स के शेर दे दिये। ये श्रक्स कोई और नहीं स्टीव जॉब्स थे और उनकी कमपणी का नाम एपपल था।
यही नहीं जिरॉक्स के रिसेर्ज सेंटर से ही माउस निकला। कहा जाता है कि स्टीव जॉब्स को ये आईडिया इतना पसंद आया कि उन्होंने अपनी इंजिनियरिंग टीम से कहा कि जो भी कर रहे हैं उसे तुरंट बंद करके माउस को दोबारा बनाकर आपल प्रोड़क्ट के रूप में लाउच किया जाएं। माउस पर असली पेटेंट स्टेंफॉर्ड रिसेर्च इंस्टिट्व के पास था। जिसका मतलब ये हुआ कि एंगल बार्ट को माउस के अविशकार से कुछ भी नहीं मिला। हाला कि एंगल बार्ट की सोच समभवता स्टीव जॉब्स जैसे शक्स की जरूरत थी। बुलेट प्रूफ मेटीरियल किसने बनाया? आपने अकसर देखा होगा कि हिनसक मिशन में शामिल होने से पहले सशरस्त्र बल के जवान बुलेट प्रूफ जैकेट पहनते हैं ताकि उन्हें गूलिया न लगी।
कभी सोचा है इस खास जैकेट को बनाने में किस मेटीरियल का इस्तिमाल होता होगा और उसे किसने बनाया होगा? इसका जवाब है स्टेफनी कोवलेक जो एक पेहट प्रतिभशाली रसायन साश्ट्री थी जिनकी कपडों और धागों में खास रूची थी. स्टेफनी अपने रिसेर्च भी सिंथेटिक फाइबर के शेत्र में कर रही थी. उन्होंने एक ऐसे सॉलूशन का अविशकार किया जो स्टील से मजबूत था और फाइबर गलास से हलका था. हम उनके अविशकार को केवलर के नाम से जानते हैं. आज की दुनिया में इसका इस्तिमाल टायर, गलॉव्ज, बलेट पूरूफ जैकेट, इस्पेस सूट और इस्पेस क्राफ्ट में होता है। लेकिन जब स्टेफनी ने क्रिस्टलों के आकार वाले इस सॉलूशन को तायार किया, तो उनके साथियों ने इसे बनाने की प्रकरिया में उनका साथ देने से इंकार कर दिया। इस सॉलूशन को मशीन में स्पिन किया जाना था, लेकिन उनके दोस्तों को लगा कि ऐसा करने पर इस सॉलूशन उनकी मशीनों में फंस सकता है।
किसने बनाया 3D वीडियो हेड़सेट? हेड़सेट की शुरुवात एक ऐसे शक्स से हुई जिसने सिनेमा की दुनिया को बदलने के लिए एक नहीं, दो अविशकार किये, जिनमे वे सफल नहीं रहे. ये शक्स है मार्टिन हेलिक, जिन्नुने सिनेमा देखने वालों को जीवन्त अनुभव देने के लिए 1957 में सैंसो रामा नामक डिवाइस बनाई. ये एक 3D वीडियो मशीन थी, जिसमें हिलती हुई सीटें और हवा देने वाली मशीने थी इसका उदेश्य सिनेमा प्रेमीयों को इस स्क्रीन में देखने वाले दृशे का अनुभव उनकी सीट पर देना था हैलिग को अपनी इस खोज से बहत उमीडे थी उन्होंने कार निर्माता हैंरी फोर्ड को ये मशीन बेशने की कोशिश की लेकिन हैंरी फोर्ड ने इसे खरीदने से इंकार कर दिया सिनसोरामा आखरकार हैलिग के बगीचे में पड़े पड़े खराब हो गई। इसके तीन साल बाद हैलिग ने टेलिसफियर मास्क का पेचेंट करवाया जोकी एक थीडी वीडियो हेटसेट था। आज के दार में वर्चूल रियालिटी इंडस्ट्री एक सुसक्तर अरब डॉलर की हो गई है।
लेकिन दुख की बात है कि हैलिग इस इंडस्ट्री का हिस्सा नहीं बन सके। उनकी मौत साल 1997 में हो गई। पेस्मेकर बनाने वाला शक्स कौन है? आज की दुनिया में पेस्मेकर एक ऐसी डिवाइस है जो लाकों करोडों लोगों की जिनदगी बचा रही है, लेकिन इसके अविशकार के कहाणी भी कम दृचस्ट नहीं। इसका अविशकार विल्सन ग्रेट बैच नामक शक्स ने किया जो दिल की धड़कन्ने सुनना चाहते थे। जब उन्होंने दिल की एलेक्ट्रिकल तरंगे जारी करना शुरू कर दिया। इस तरह उन्होंने गलती से पेस्मेकर का आविष्कार कर दिया।