अक्टूबर 2022 में दुनिया की कुछ बड़ी कार निर्माल कमप्पनियों के सामने एक बड़ी समस्या खड़ी हो गई. स्वीडन की वोलवो कमपणी ने घोशना की कि वो अपनी एक फैक्टीरी को एक हफ़ते के लिए बंद कर रहा है. जापान की टोयटा कमपणी को अपना निर्माल लक्ष घटाना पड़ा. वजा ये नहीं थी कि उनकी गाड़ियों की मांग में कमी आई हो. बलकि वजा ये थी कि कार बनाने में इस्तेमाल होने वाले एक प्रमुख्ट पार्ट की किल्लत हो गई थी. ये पार्ट था सेमी कंडेक्टर यानी माइकरो चिप. कोविड महमारी के दोरान इन माइकरो चिप की मांग इतनी ज्यादा बढ़ गई थी कि उसे पूरा कर पाना मुश्किल हो गया था. मगर उसके दो साल बाद भी इसकी सप्लाई में कोई खास सुधार नहीं आया. टाइवान माइकरो चिप बनाने वाला एक सबसे प्रमुख देश है और अब अमरीका और चीन खुद माइकरो चिप बनाने के लिए अर्बो डॉलर खर्च कर रहे हैं. उनका ऐसा करना अपने हितो की सुरक्षा के लिए है या फिर राजनीतिक है? तो इस अफते दुनिया जहान में परताल इसी सवाल की कि क्या हम माइकरो चिप की किलक का सामना कर रहे हैं? पार्ट वन हर्फन मॉला चिप माइकरो चिप का इस्तेमाल हमारे मॉबाईल फोन और कंप्यूटर आपरेटिंग सिस्टम से लेकर एडवांस कंप्यूटर और मेडिकल मशीनों में भी होता है.
What is Microchip or Semiconductor
माइकरो चिप एक वेफ़र जितनी पतली सिलिकों चिप पर वायरों की सरचना होती है. ये कई तरह के होते हैं. मिसाल के तौरपर मेमरी चिप जिस पर डेटा स्टोर होता है. लोजिक चिप जो कंप्यूटरों के प्रोसेसर में काम आती है और तीसरी एडवांस माइकरो चिप जो बहुत शक्तिशाली होती है आर्टिफिशल इंटेलिजन्स के जरीए जतिल कंप्यूटिंग और सुपर कंप्यूटर में इस्तेमाल होती है. ये सेल्फ ड्राइविंग हमारे पहले एक्सपर्ट है जेसन शू, जो हावर्वल्ड केनेडी सेंटर में माइकरो चिप से जुड़े इंटरनाशनल पॉलिटिक्स के सीनियर रिसर्चर हैं और ताइवान के पूर्व सांसद हैं जहां उन्होंने टकनीक से जुड़ी विकास नीती में महतपूर्ण भूमिका निभाई हैं वो बता रहे हैं ये क्यों इतनी महतपूर्ण है और अगर जटिल जानगारी को प्रोसस करने के लिए एडवांस माइकरो चिप का इस्तमाल होता है दो गुनी होती चली जाते हैं और आकार आधा होता जाता है माइकरो चिप का आकार नेनो मीटर में आका जाता है ताइवान में बन रही एडवांस माइकरो चिप केवल तीन नेनो मीटर की होती है ये कितनी चोटी होती है इसका अंदाजा आपको ऐसे होगा कि लगबग धाई करोड एडवांस चिप एक इंच के बराबर होते हैं ये माइकरो चिप शक्तिशाली तो होती ही है लेकिन उन्हें बनाना भी उतना ही जटिल होता है और ये काम होता है एडवांस लाब में जिनने फैब कहा जाता है जेसन शू ऐसी लाब में जा चूगे है ये लाब देखने में फिटरिस्टिक लगती है जैसे भविष्चे के किसी युग में हो वहाँ काम करने वाले लोग अजीब किस्म के सूट पहने होते हैं जटल और प्रिसीजन उपकरन होते हैं लगता है जैसे ये मिशन इम्पॉसिबल जैसे फिल्म का सेट हो बड़ी हॉलिवूट फिल्मों की तरह ये फैब भी बड़ी महँगी होती है उनका बज़ेट बहुत बढ़ा होता है एक फैब लाब बढ़ाने में 20 अरब डॉलर तक की लागत आती है और इसके निर्माल में काई साल लग जाते हैं ये अत्याधुनिक और सोफिस्टिकेटिट लाब होती हैं
और ये विशिष्ट तरह की मशीनों और उपकरनों से माईकरो चिप बनाये जाते हैं दुनिया की गिनी चुनी कमपरिया ही ये मशीनें बनाती हैं ये कोई सामाने कारखाना नहीं है जिसे आप इंट और स्टील से बना लें ये बहुत ही जटिल होती हैं और बहत प्रशिक्षित और कुशल इंजिनियर यहां काम करते हैं इसकी आसानी से नकल नहीं की जा सकती इन लैब्स की एक और खासियत यह है कि ये कभी बन्द नहीं होती ये प्लांट कभी बन्द नहीं होते इसमें इंजिनियर दो या तीन शिफ्ट में काम करते रहते हैं इनमें लगातार बदलाव लाए जाते हैं टाइवान इस खेतर में अगरसर बना रहेगा और आप देख सकते हैं दुन्या के लिए वो कितना कीमती है हमारे दूसरे एक्सपर्ट है क्रिस मिलर जो टॉफ्स युनिवर्स्टी में प्रोफेसर है वो कहते हैं कि एलेक्ट्रॉनिक उत्पादों में टाइवान पिछले 50 सालों से एक प्रमुक देश रहा है माईक्रो चिप पहली बार 1950 के दश्यक में अम्डिका की एक कमपनी टेकसस इंस्ट्रुमेंट्स के एक टेक इंजिनियर जैक क्यूबी ने बनाई थी इन चिप्स का इस्तिमाल पहले पोकेट केल्कुलेटर, फिर मुबाईल फून और इसके बाद अन्ने कई एलेक्ट्रॉनिक उत्पादों में हुने लगा माईक्रो चिप उत्पादन में टाइवान सबसे आगे रहा पुराने समाने माईक्रो चिप के बाजार का 40 टीज़ेट पर बनाई थी
पिशले साल इस कंपणी ने पाँच हजार से ज्यादा कंपनियों के लिए बारा हजार से अधिक किस्म के उत्पाद बनाई इसमें ज़्यादी कांश माईक्रो चिप चीन को निर्यात की जाती है जहां उनके इस्तेमाल से मॉबाईल फोन और कई एलेक्ट्रोनिक चीजे बनती हैं जो दुनिया भर में सप्लाई होती है ये महतपूर नहीं है कि पहले ये माईक्रो चिप्स कहां भेजी जाती है जो ज़्यादातर मेमरी चिप और लोजिक चिप बनाती थी अब चिप उद्दियोग दो हिस्तों में बट गया है एक वो कंपनिया जो चिप डिजाइन करती है और दूसरी वो जो उनका उतपादन करती है पहले ये होता था कि जो कंपनी जो तबुरह चिप डिजाइन करती थी वही उतपादन भी करती थी अब कई गुए कंपनियां ज़ैसे की एपल, एमडी, और एनवीड् चिप ओर उतपादन किसी ओर कंपनि से करवाती है
अब TSMC एडवांस चिप बनाने वाली सबसे बड़ी कमपणी है। यानि अब दुनिया एडवांस चिप के लिए ताइवान पर निर्भर है। क्रिस मिलर का मानना है कि TSMC के अलावा केवल अमरीका की इंटेल और दक्षन कोरिया की सैंपसं कमपणी का एडवांस चिप उद्योग में प्रभुत्व है। पार्ट 3 चीन के दाव पेच। हमारी तीस्री एक्सपर्ट है लिंट से गामन, जो अमरीका एसिद जर्मन मार्शल फंड में उभरती हुई टेकनलोजी की वरिष्ट शोद करता है। चीन माइकरो चिप के जरूरते पूरी करने के लिए आत्म निर्भर होना चाहता है। चीन ने खुद माइकरो चिप बनाने के लिए 2014 में 22 अरब डॉलर का कोश बनाया ताके इस मामले में ताइवान ही नहीं दूसरे देशों की कमपनियों पर उसकी निर्भरता कम हो। इसके लिए वो आक्रामक तरीके से टक्नी की प्रतिभा को आकरशित करने का प्रयास कर रहा है और खास तोर पर ताइवान के इंजिनियरों को लाने की कोशिश कर रहा है। पर आज वो परवारत पर परवारत करते हैं जिन पर पर परवारत करते हैं जिन पर परवारत करते हैं जिन पर परवारत करते हैं जिन पर परवारत करते हैं जिन पर परवारत करते हैं जिन पर परवारत करते हैं जिन परवारत करते हैं जिन परवारत करते हैं जिन परवारत चीन के हमले के खिलाफ सिलिकोन सुरक्षा कवच
इसका मतलब है कि चीन सिलिकोन माईकरो चिप सप्लाई की अपनी ताइवान पर निर्भरता की वज़ासे उस पर हमला करने से पहले काई बार सोचेगा लेकिन यही माईकरो चिप अमरीका को भी चाहिए इसलिए अमरीका ताइवान का समर्थन करेगा चीन और ताइवान के बीच एतिहासिक मतभेत तो है ही लेकिन माईकरो चिप उद्योग ने उसे एक नया आयाम दे दिया है शेतरिय वर्चस्प के साथ साथ अब यह चीन और अमरीका के बीच टेकनॉलजी की लड़ाई का मोरचा बनता जा रहा है चीन को रोकने के लिए अमरीका ने कई निरियात प्रतिबंध लगा दिये हैं ताकि चीन को आसानी से एडवांस माईकरो चिप ना मिल पाए यह वो माईकरो चिप नहीं है जो आपकी कार की एर बैग या वाशिंग मशीन में लगते हूं यह इस्तेमाल होते हैं आधुनिक, ताकतवर और सटीक मार की क्षमता वाले सैन्य हतियारों में इनका इस्तेमाल आर्टिफीशल इंटेलिजन्स, मशीन और सुपरकम्प्यूटरों में होता है जिसके इस्तेमाल से चीन शिंजियांग में अपने मुस्लिम अलव संख्षकों की निघरानी करता है चीन के मानवादिकार उल्लंगलों को कारण बता कर अमरीका ने निरयात प्रतिबंध तो लगा दिये
लेकिन इन्हें लागू करना बहुत महँगा साबित हो रहा है लेकिन क्या इससे चीन पर कोई बुरा असर पढ़ रहा है? लिंट से गार्मन कहती है कि असर पढ़ रहा है और चीन की महत्वा कांक्षाओं पर अंकुष लग रहा है मगर वहीं अमरीका ने इन निरयात प्रतिबंधों में कुछ रोचक आस्थाई अपवाद भी रख छोड़े है कई गंपनियों को जिसमें टी एस एम सी भी शामिल है उन्हें इस प्रतिबंध के दाएरे से एक साल के लिए बाहर रखा गया है और वो एक साल तक अपने उपकरण चीन में बनाना जारी रख सकते हैं एक साल बाद क्या किया जाएगा? ये अभी सपश्ट नहीं है मगर क्या चीन इस कदम के खिलाफ जवाबी कारिवाई कर सकता है? क्योंकि माईकरो चिप जिन सिलिकोन से बनते हैं वो चीन में बड़ी मातरा में उपलब्द हैं
तो क्या चीन इस कच्चे माल को बाहर जाने से रोख सकता है? लिंड से गाम उनका मानना है कि चीन ऐसा करने के बारे में सोच सकता है लेकिन ये सिलिकोन दूसरे ऐसे देशों में भी उपलब्द है जो अमरीका के सहयोगी है हमारी छोथी एकस्पर्ट है जूडी हेस जो स्टिफ्टन नोया पॉलिसी रिसर्च में काम करती है और वो माईकरो चिप से जूडी वैश्विक और ख्षितरी राजनीति की विशेशक्य है वो मानती है कि किसी भी देश के लिए चंद सालों में चिप उद्योग में टाइवान के बराबर पहुँच पाना बहत मुश्किल है क्योंकि इसके निर्माल की प्रकरिया बेहद जटिल होती है और तीन इस्तरों पर विक्सित होती है साथ ही ये देशों के आपसी सहयोग के बिना मुश्किल है
पहला इस्तर है एडवांस माईकरो चिप के डिजाइन जिसमें अमरीका सब से आगे है उत्पादन के दूसरे स्थर पर यानि मनिफाक्चिरिंग में सैक्रो प्रकरियाएं होती हैं जिसके लिए माईकरो चिप कमपनी को कई तरहां के कच्चे माल, रसाइनों और उपकर्णों की ज़रूरत होती है जो अलग अलग देशों से आते हैं इसलिए इसमें कई देशों के आप से सहीो की ज़रूरत भी होगी काफी उपकरण एशिया में मिल जाते हैं, मगर कई उपकरण और इंजीनियर जो खास ट्रंक सूट पहनते हैं वो यूरोप से आते हैं इस उत्पादन का आखरी स्टेज होता है इन माईकरो चिप की टेस्टिंग करके उनकी पैकेचिंग करना यह परिवार्मारी पर्ट्रोंड के लिए आता है ताइवान में दोनों के कानूनों में माईकरो चिप उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सबसिडी देने की बात कही गई है ताकि उन कमपनीयों की प्रतीस्पर धातमकता बढ़े और देश में अत्याधुनिक फैब लैब बनाई जाए बड़े दोनों ने इस सबसिडी के लिए अलग शर्ते रखी हैं अमरीका की शर्त है कि सबसिडी पाने वाली उत्पादन कमपणी चीन में निवेश नहीं कर सकती
जबकि इउरोपिय संग के नियम के अनुसार उसे सबसिडी पाने वाली कमपणी चीन को अपना माल बेच तो सकती है लेकिन इउरोपिय संग की चिप की सप्लाइ की जरूरतें पहले पूरी करने के बाद जूडि का मानना है कि ये सरकारी सबसिडी फायदे मंद तो होगी, लेकिन टी-स-म्सी जैसी कमपणी के आगे नहीं निकल पाएगी तो क्या जवाब है हमारे आज के सवाल का? क्या दुनिया में माईकरो चिप की किल्लत हो रही है? जैसा कि किसी भी चीज की डिमांड और सप्लाई के समनवय में उतार चड़ाब आते ही हैं, लेकिन दुनिया की जरूरते पूरी करने लाइक चिप सप्लाई के लिए जरूरी कच्चा माल, तक्नीकी कुशलता और साधन उपलब्द हैं मगर आकार में चोटी सी इस टेकनलोजी के कारण ताइवान अमरीका और चीन जैसी महाशक्तियों के बीच फ़स गया है
अमरीका की बराबरी करने के लिए चीन इस टेकनलोजी पर अर्बो डॉलर खर्च कर रहा है और अमरीका उसे वहाँ पहुँचने से रोकने के लिए अर्बो डॉलर खर्च कर रहा है