"Efficient Techniques for Treating Wastewater: A Focus on Chemical and Physical Processes" in Hindi

Wastewater


पानी हमारी जिन्दगी के लिए पानी कितना जरुरी है यह बताने की ज़रूरत तो बिलकुल भी नहीं है क्यूंकि साफ़ सुथरा पीने लायक पानी। हर लिविंग बीन की बेसिक जरूरत है लेकिन इंड्रस्ट्रीज एग्रीकल्चरल पोल्यूशन, म्यूनिसिपल वेस्ट, वॉटर और एन्वायरमेंटल चेंजेस की वजह से पानी इतना गंदा, इतना कंटेंट मॉनिटर होता जा रहा है कि इसे हम पी ही नहीं सकते। 

अब ऐसे में हमें क्या करना होगा, कैसे पीने लायक पानी बनाए रखा जाएगा और इस कंटेंट वॉटर को हम कैसे हमारे यूज में आने लायक पानी में बदल सकते हैं ताकि इसे यूज के लिए सूटेबल बनाया जा सके या फिर एनवायरमेंट में वापिस डिस्चार्ज किया जा सके। उसके लिए तो हमें वाटर ट्रीटमेंट की जरूरत होगी, जो कि कैसा प्रोसेस है। जिसमें वाटर की क्वॉलिटी को इम्प्रूव किया जाता है ताकि उसका यूस ड्रिंकिंग इंडस्ट्रियल वॉटर सप्लाय, इरिगेशन, रीवर फ्लो, मेंटेनेंस, वाटर रीक्रिएशन में किया जा सके। वाटर ट्रीटमेंट कंटेस्टेंट्स को रिमूव कर देता है या उनकी कंसंट्रेशन को कम कर देता है, जिससे पानी हमारी यूज करने लायक बन जाता है।

 जिसे हम ड्रिंकिंग और इरीगेशन यूज में ले सकते हैं। अनट्रीटेड वेस्ट वाटर में बहुत ज्यादा ऑर्गेनिक मटीरियल, जैविक माइक्रोऑर्गेनिज्म और टॉक्सिक कंपाउंड्स होते हैं, जो ह्यूमन हेल्थ और एन्वायरमेंट के लिए हार्मफुल होते हैं। इस लिए वेस्ट वॉटर का इफेक्टिव ट्रीटमेंट होना बहुत जरूरी है। वॉटर पॉल्यूशन कंट्रोल का एक मेजर एलिमेंट है वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट। तो बहुत अच्छी बात है कि वॉटर को क्लीन और रिन्यूएबल बनाना पॉसिबल है। लेकिन यह होता कैसे है? क्या हम इसके बारे में जान सकते हैं? क्यों नहीं आप इस वाटर ट्रीटमेंट के बारे में जरूर जान सकते हैं और वो भी आज के वीडियो में, ताकि आपको पता चल सके कि कौन से प्रोसेस में किन स्टेप्स को फॉलो करके वाटर को क्लीन किया जा सकता है। और इस इम्पोर्टेन्ट मिशन के लिए अगले कुछ मिनट इन्वेस्ट कीजिए क्योंकि ये बात है। 

Wastewater Treatment 

 ये वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट, केमिकल और फिजिकल प्रोसेस के जरिए स्पेसिफिक प्रॉब्लम्स को दूर करता है। फिजिकल मैथड में कोई कैमिकल्स यूज नहीं होते हैं, जबकि केमिकल ट्रीटमेंट में केमिकल्स का यूज किया जाता है। वेस्ट वॉटर के कम्पोजीशन के अकॉर्डिंग केमिकल और फिजिकल ट्रीटमेंट हुआ करते हैं। आइये पहले जानते हैं फिजिकल वेस्ट वॉटर ट्रीटमेंट प्रोसेस के बारे में जिसमें इन प्रोसेस का यूज़ किया जा सकता है। पहला है से मटीरियल सेपरेशन, यूटिलाइज, स्क्रीन केमिस्ट्री, नल, दूसरे मैकेनिकल सेप्रेशन ऑफ़ सॉलिड सब्सटेंस से थ्रू फिल्ट्रेशन। तीसरा है मेम्ब्रेन फिल्ट्रेशन। चौथा है माइक्रो फिल्ट्रेशन। पांचवा है अल्ट्रा फिल्ट्रेशन, छठा है नैनो फिल्ट्रेशन। साथ ही रिवर्स ऑस्मोसिस, आठवां है प्रोटेक्शन और नौवें नंबर पर है 

  • म्यूटेशन और इनमें नंबर एक पर जानते हैं स्क्रीन रीडर का यूज करके से फाइल मटीरियल्स को सेपरेट करना। स्क्रीन सॉलिड वेस्ट वाटर में सॉलिड कंटेंट्स को रिमूव करते हैं। इस मैकेनिकल प्रोसेस में डायवोर्स हेयर और वेट वाइप से सॉलिड पॉल्यूशन को सेपरेट किया जाता है। इंडस्ट्रियल वेस्ट वाटर के ट्रीटमेंट से पहले टेक्सटाइल, फाइबर्स, पेपर लेबल्स, प्लास्टिक वेस्ट टूल्स और पटेटो प्लेस जैसे वेस्ट को अलग कर देती हैं। इस एरिया में वेस्ट वॉटर ट्रीटमेंट होना है। उसके अकॉर्डिंग कोल्ड या फायर स्क्रीन का यूज किया जाता है।
  •  नंबर दो पर है फिल्ट्रेशन के थ्रू सॉलिड सब्सटेंस का मैकेनिकल सेपरेशन फिल्ट्रेशन से फ्लूइड में सॉलिड सेपरेट हो जाते हैं। इसमें मिक्सचर को पेपर से बने फिल्टर से गुजारा जाता है। पेपर फिल्टर के अलावा टेक्सटाइल और मेटल फिल्टर्स का यूज टेक्निकल एप्लीकेशंस में किया जाता है। इनके अलावा स्टैंड फिल्टर्स, क्लोज फिल्टर्स और ड्रम स्क्रीन का यूज भी फिल्ट्रेशन सिस्टम के रूप में किया जाता है। ये फिल्ट्रेशन सिस्टम वेस्ट वाटर में से ओर्गेनिक और इन ऑर्गेनिक सस्पेंडेड सॉलिड सेंसर डस्ट को रिमूव करते हैं। 
  • नंबर 3 पर आता है मेम्ब्रेन फिल्ट्रेशन। मेम्ब्रेन फिल्ट्रेशन भी एक मैकेनिकल सेपरेशन प्रोसेस है, जिसमें मेम्ब्रेन एक फिल्टर मीडियम की तरह काम करती है और इस मेथड के जरिए बहुत छोटे पार्टिकल्स को अलग किया जाता है। ये सेपरेशन अंडर प्रेशर होता है। मेम्ब्रेन फिल्ट्रेशन के कई डिफरेंट मैथड का यूज वाटर प्यूरीफिकेशन, वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट, वाटर रीसाइकलिंग में किया जाता है। 
  • नंबर चार पर है माइक्रो फिल्ट्रेशन माइक्रो फिल्ट्रेशन वॉटर में से आर्गेनिक मैटर सस्पेंडेड सॉलिड स्मॉल कॉलोनीज, बैक्टीरिया और टोपी को रिमूव करने के लिए यूज किया जाता है। 
  • नंबर पाँच पर है अल्ट्रा फिल्ट्रेशन वेस्ट वाटर और पीने लायक पानी के इलाज का एक इम्पॉर्टेंट मैथड है अल्ट्रा फिल्ट्रेशन, जिसका यूज वॉटर में पार्टिकल्स माइक्रोऑर्गेनिज्म, प्रोटीन और पानी का मैला पन हटाने के लिए किया जाता है। स्विमिंग पूल के पानी को क्लीन करने के लिए इसका यूज किया जाता है।
  •  नंबर छह पर है नैनो फिल्ट्रेशन। इसमें ज्यादातर ऑर्गेनिक मॉलिक्यूल्स, वायरस, न्यूट्रल ऑर्गेनिक मैटर और कई तरह के सॉलिड वेस्ट। हो जाते हैं। ये ड्राइवर जो वोटर को हार्ट बनाते हैं, उन्हें भी रिमूव करता है, जिससे हार्ड वाटर सॉफ्ट हो जाता है। नैनो फिल्ट्रेशन मेम्ब्रेन के पोर साइज्ड माइक्रो फिल्ट्रेशन और अल्ट्रा फिल्ट्रेशन से स्मॉल होते हैं, लेकिन रिवर्स ऑस्मोसिस के पोर्ट साइज से थोड़े बड़े होते हैं। 
  • नंबर सात पर आता है रिवर्स ऑस्मोसिस। रिवर्स ऑस्मोसिस के पोटेंट प्रोसेस है, जो ऐसे रूरल एरिया के पीने लायक पानी को ट्रीट करता है जो पाइपलाइन नेटवर्क से कनेक्टेड नहीं होते। साथ ही सी वाटर में से नमक हटाने और पावर प्लांट्स में बॉयलर वाटर को डी गैलन बाय करने में भी इसका यूज होता है। 
  • नंबर आठ पर आता है प्लान्टेशन प्लान्टेशन के थ्रू वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट प्लांट। बहुत बारीक गैस बबल्स के जरिए फ्लुइड में सस्पेंडेड सब्सटेंस को रिमूव किया जाता है। इस प्रोसेस के जरिए ओआईएस और बेहद बारीक सस्पेंडेड सॉल्ट और पार्टिकल्स को सेपरेट किया जाता है.
  •  नंबर नौ पर है। स्टेडी टेशन के जरिए सॉल्ट सेपरेशन स्टेडी टैंक्स में सॉल्ट पार्टिकल्स को सेपरेट करने के लिए ग्रैविटी का यूज होता है। 


इसमें सॉल्ट पार्टिकल्स टैंक के बॉटम में सेटल हो जाते हैं, जिन्हें अलग कर लिया जाता है और इस तरीके से डिफरेंट रिक्वायरमेंट के लिए डिफरेंट फिजिकल प्रोसेस के जरिए वेस्ट वाटर को ट्रीट किया जाता है और अब जाते हैं केमिकल प्रोसेस के थ्रू वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट, जिसमें प्लांटेशन, पॉप्युलेशन यूटिलाइजेशन और ऑक्सिडेशन एंड रिडक्शन, अॉप्शन इन केमिकल ऑप्शन और आयनिक स्ट्रेंजर यानी छह मैथड आते हैं। 

  • इनमें नंबर एक पर जानते हैं पिटीशन के बारे में। यह एक ऐसा केमिकल प्रोसेस है, जो फ्लुइड में पहले से घुले हुए सब्सटेंस को अलग करता है। इसके जरिए हैवी मेटल्स को मेटल हाइड्रोक्साइड में ट्रांसफर कर दिया जाता है, जो सॉल्यूबल नहीं होती है। इनके अलावा कार्बोनेट और सल्फाइड के लिए भी पिटीशन की रिक्वायरमेंट हो सकती है। 
  • नंबर दो पर है फ्लक्चुएशन ब्लॉकिंग वॉटर रिमूव करने के लिए बहुत बारीक पार्टिकल्स तैयार करता है, जो या तो सस्पेंडेड होते हैं या फिर कोलाइडर सॉल्यूशंस के फॉम में होते हैं। इस प्रोसेस में सॉल्ट पार्टिकल्स को लिक्विड से अलग करके सॉफ्ट गुच्छे यानी फ्लेक्स बनते हैं। 
  • नंबर तीन पर आता है न्यूट्रल डाइजेशन यूटिलाइजेशन का यूज करके वेस्ट वाटर टेक्नोलॉजी पीएच वैल्यू को अजस्ट करती है। पिटिशन और केलकुलेशन जैसे प्रोसेस के बाद और इंडस्ट्रियल वेस्ट वोटर्स के न्यूट्रल डाइजेशन के लिए जरूरत के हिसाब से वेस्ट वाटर में एसिड या एल्कलाइन ऐड कर दिए जाते हैं। 
  • नंबर चार पर आता है ऑक्सिडेशन एंड रिडक्शन। ऑक्सिडेशन एंड रिडक्शन यानी डिटॉक्स रिएक्शंस का यूज केमिकल वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट में काफी होता है और पोर्टेबल वॉटर यानी पीने लायक पानी के ट्रीटमेंट में भी इसे यूज किया जाता है। ओजोन और हाइड्रोजन पेरोक्साइड के साथ ऑक्सिडेशन प्रोसेस पीने लायक पानी से क्लोरीनयुक्त हाइड्रोकार्बन और पेस्टिसाइड को हटा देता है। वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट में ऑक्सीडेशन प्रोसेस का यूस डिफिकल्ट बायोडिग्रेडेबल कंपाउंड्स को रिमूव करने में किया जाता है और रिडक्शन प्रोसेस हैवी मेटल आयन को ईजिली डिजायरेबल सल्फाइट में ट्रांसफॉर्म करने के लिए रिक्वायर्ड होते हैं। 
  • नंबर पाँच पर है आगे अॉप्शन एन साक्ष्य अबॉर्शन सॉलिड बॉडी के स्पेस पर सबस्टेंस का अग्रिम एडिशन है, जो एक फिजिकल प्रोसेस है जिसमें मॉलिक्यूल्स वॉटर वोल्फ फोर्स के थ्रू बाउंड्री से सटे रहते हैं। अगर केमिकल बॉन्डिंग सबस्टेंस को एक सॉलिड बॉडी स्पेस बाइंड करती है, उस प्रोसेस को सोशन कहा जाता है। यह वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट सॉल्युबल वॉटर कंटेंट्स को बाइंड करने के लिए एक्टिवेटेड कार्बन का यूज करता है, जिसे बायोलॉजिकल वेस्ट, वाटर ट्रीटमेंट पिटीशन और फ्लक्चुएशन जैसे मैथड से पूरी तरह रिमूव नहीं किया जा सकता। 
  • नंबर छह पर है आयन एक्सचेंजर। ये ऐसे मैटीरियल होते हैं, जो एक सल्यूशन के आयन को दूसरे आयन से रिप्लेस कर सकते हैं। जैसे कैल्शियम को सोडियम आयन के साथ रिप्लेस कर देता है। इस प्रोसेस की सक्सेस डिस्प्लेसमेंट प्रिंसिपल पर बेस्ड होती है। 
यानी जितना ज्यादा आयन चार्ज, उतनी ही स्ट्रॉन्ग आयनिक चीजों से आयन बाइंडिंग। इस तरह वेस्ट वॉटर के नेचर और उसे ट्रीट करने के लिए रिक्वायर्ड प्रोसेस के अकॉर्डिंग केमिकल और फिजिकल प्रोसेस का यूज किया जाता है। यहां पर एक बात कहना जरूरी लग रहा है कि हमें टेक्नोलॉजी को थैंक्स कहना चाहिए, जो हमारे लिए रिन्यूएबल यानी पीने लायक पानी तैयार करने में लगातार जुटी हुई है। लेकिन अपनी जिम्मेदारी को भी हम ना भूलें तो हमारे लिए अच्छा रहेगा। और यहां क्या है? हमारी जिम्मेदारी वाटर को वेस्ट नहीं करना है, बल्कि बचाना है, है ना? 

Post a Comment

Previous Post Next Post