"Comprehensive Guide to Developing a Strategic Business Plan" in Hindi


क्या आप जानते हैं कि बिजनेस की सक्सेस के लिए स्ट्रेटजी प्लानिंग को काफी इम्पोर्टेन्ट समझा जाता है। क्योंकि अगर इस स्ट्रैटेजी से चला जाए तो बिजनेस अपने गोल्स को अचीव कर सकता है। लेकिन ये स्ट्रैटेजिक प्लानिंग होती क्या है और बिजनेस की सक्सेस के लिए ये इतनी जरुरी क्यों है। 

What is Strategic Plan for Business

 स्ट्रैटेजिक प्लानिंग में कंपनी के ओवरऑल लॉन्ग टर्म गोल्स के लिए स्पेसिफिक बिजनेस स्ट्रैटेजी बनाने, उन्हें इम्प्लीमेंट करने और उनसे मिले रिजल्ट को एलिवेट करने की एक कला है, एक आर्ट है। ये एक ऐसा प्रोसेस होता है, जिसमें ऑर्गनाइजेशन के गोल्स और ऑब्जेक्टिव को आइडेंटिफाई किया जाता है और फ्यूचर के लिए विजन सेट किया जाता है। ये प्लानिंग लॉन्ग टर्म गोल्स के लिए होती है, जो 3 से 5 साल में पूरे होते हैं। हालांकि ये टाइम ज्यादा भी हो सकता है। अक्सर जिस बिजनेस प्लानिंग के बारे में हम सोचते हैं, ये स्ट्रैटेजिक प्लानिंग उससे थोड़ा अलग है, क्योंकि बिजनेस प्लानिंग अक्सर शॉर्ट टर्म गोल्स पर फोकस करती है, जबकि स्ट्रैटेजिक प्लानिंग के लॉन्ग टर्म गोल्स होते हैं। 

कोई स्ट्रैटेजिक प्लानिंग इतनी इम्पोर्टेन्ट इसलिए होती है क्योंकि ये बिजनेस को ग्रो करने के लिए गाइडेंस देती है। इसलिए स्ट्रैटेजिक प्लान को बिजनेस गोल्स के लिए एक रोड मैप कहा जा सकता है और इसके बिना ये जानना मुश्किल है कि बिजनेस सही डायरेक्शन में चल रहा है या नहीं और ये अपने गोल्स तक पहुंच पाएगा या नहीं। तो इस तरह की प्लानिंग में स्मार्ट गोल्स यूज किए जाते हैं और एस एम ए आर स्मार्ट का मतलब होता है स्पेसिफिक मेजर लेवल अचीव, एबल, रियलस्टिक और टाइम बाउंड इन लॉन्ग टर्म के लिए बने प्लान्स। शॉर्ट टर्म गोल्स को अचीव करने के लिए स्पेसिफिक गाइडेंस और डाइरेक्शन देते हैं, जिससे बिजनेस लीडर्स के लिए हर दिन के वर्क को बिजनेस स्ट्रैटेजी से मैच करना पॉसिबल हो पाता है। इस तरह की प्लानिंग प्रैक्टिकल होती है और बिजनेस लीडर्स को टाइम टू टाइम अपनी प्रोग्रेस एलिवेट करने में मदद करती है ताकि वो जान सकें कि उनकी प्रोग्रेस प्लैन के अकॉर्डिंग है या नहीं। 

क्या उन्हें किसी तरह के चेंजेस या एडजेस्टमेंट करने की जरूरत है ये भी उन्हें पता चल जाता है जिससे बिजनेस गोल्स पर कोई नेगेटिव इम्पैक्ट नहीं पड़ता। लेकिन एक बिजनेस के लिए स्ट्रैटेजी प्लानिंग करता कौन है? स्ट्रैटेजिक प्लानिंग प्रोसेस को एक कमेटी लीड करती है, जिसमें प्लानिंग एक्सपर्ट्स होते हैं। ये कमेटी और इनविटेशन के करंट स्टेटस को समझती है और उन फैक्टर्स के बारे में भी रिसर्च करती है, जो कंपनी को फ्यूचर में अफेक्ट कर सकते हैं। ये कमेटी ही ऐसे बेंचमार्क क्रिएट करती है, जो एक ऑर्गनाइजेशन को ये जानने में हेल्प करते हैं कि अपने गोल्स अचीव करने के लिए वो कैसा काम कर रही है। तो अब आप ये जान ही गए होंगे कि स्ट्रैटेजिक प्लानिंग कौन करता है और ये प्लानिंग इतनी जरुरी क्यों है। इसलिए अब आगे ये जान लेना बेहतर होगा कि स्ट्रैटेजिक प्लानिंग प्रोसेस के स्टेप्स क्या क्या हो सकते हैं। आइए एक नजर डालते हैं। अब यूं तो बिजनेस के टाइप के अकॉर्डिंग स्ट्रैटेजी, प्लानिंग, प्रोसेस के स्टेप्स अलग अलग हो सकते हैं, लेकिन ज्यादातर जिन स्टेप्स को इसमें शामिल किया जाता है हम उनकी बात करते हैं। 

There are three steps in strategic planning

नंबर एक है बिजनेस गोल्स सेट करना। ये कंपनी जिस मीडियम लॉन्ग टर्म बिजनेस गोल को अचीव करना चाहती है, उसे सेट करती है। इस सेल्स को इन्क्रीज करना भी हो सकता है। रेवेन्यू को बढ़ाना और कस्टमर सैटिस्फैक्शन भी हो सकता है। ब्रैंड की पोजीशन इम्प्रूव करना भी एक मेजर बिजनेस गोल होता है। 

नंबर दो पर है एस डब्ल्यू उल्टी स्वॉट एनालिसिस कंडक्ट करना। स्वॉट का मतलब होता है स्ट्रेंथ, वीकनेस, ऑपर्च्युनिटीज और प्रेजेंस। इनमें से स्ट्रेंथ और वीकनेस तो एक कंपनी के इंटरनल फैक्टर्स होते हैं, जिनका एनालिसिस किया जाता है, ताकि स्ट्रेंथ को बढ़ाया जा सके और वीकनेस यानी कमजोरियों को कम किया जा सके। वहीं ऑपर्च्युनिटीज और थ्रेट एक्सटर्नल फैक्टर्स होते हैं, जैसे कॉम्पिटिटर्स। इन चारों फैक्टर्स का एनालिसिस करना स्ट्रैटेजिक प्लानिंग में आता है, ताकि इनके बेस पर प्रोडक्ट या सर्विस क्रिएट की जाए, उसकी मार्केटिंग और सेल की जाए और उसे इतना बेनिफिट मिले कि बिजनेस गोल अचीव किए जा सके। 

नंबर तीन पर है बिजनेस स्ट्रैटेजी और स्ट्रैटेजिक प्लान डेवलप करना। स्वॉट एनालिसिस करने के बाद ऐसी बिजनेस स्ट्रैटेजी बनाई जाती है, जो आपकी कंपनी को मार्केट में अच्छी पोजिशन बनाने में मदद करे और फिर उस पर काम किया जाता है। बिजनेस स्ट्रैटेजी बनाने के बाद स्ट्रैटेजिक प्लान बनाने की जरूरत होती है। ये बिजनेस प्लान ही बिजनेस स्ट्रैटेजी को एक्शन में लाता है। इसे बनाने के लिए इन सवालों के जवाब होने जरुरी है। पहला तो ये कि आज बिजनेस किस पोजिशन पर है, ये जानने के लिए बिजनेस के इंटरनल ऑपरेशंस और प्रॉफिट के बारे में जानकारी कलेक्ट करना जरुरी है। अपने बिजनेस को कॉम्पिटिटर्स के साथ कंपेयर करके दोनों के बीच की सिमिलैरिटी और डिफरेंसेज नोट करना जरूरी है। 

इस टाइम अपने बिजनेस से इन्फ्लुएंस हुए बिना एक क्रिटिक की तरह जानकारी कलेक्ट करने और उसका एनालिसिस करके बिजनेस की प्रेजेंट पोजीशन और कंडीशन पता लगाना जरूरी होता है। दूसरे बिजनेस को कहां ले जाना चाहते हैं। जब तक आपको आपकी कंपनी को ये नहीं पता हो कि आप बिजनेस को किस पोजीशन तक लेकर जाना चाहते हैं। आप ना तो प्लान बना सकते हैं और ना ही गोल्स सेट कर सकते हैं। इसलिए अपने बिजनेस के फ्यूचर के लिए टॉप लेवल ऑब्जेक्टिव को जानना बहुत जरुरी है। इसके लिए बिजनेस के विज़न, ऑब्जेक्टिव वैल्यूज, टेक्नीक्स और गोल्स को कंसीडर किया जाना चाहिए और इनके बेसिस पर अपने बिजनेस को अगले पाँच या उससे ज्यादा सालों में किस जगह खड़ा देखने का आपका इरादा है ये क्लियर हो जाना चाहिए और तीसरा है कि बिजनेस को उस पोजीशन तक कैसे पहुंचाया जा सकता है। तो जब आपको ये पता चल जाएगा कि आज आपका बिजनेस कहां है और आप उसे कहां तक ले जाना चाहते हैं तो उसके बाद बारी आएगी प्लान बनाने की। 

ये डिसाइड करने की कि वहां तक पहुँचने के लिए आपको अपने बिजनेस के स्ट्रक्चर और फाइनेंशियल जैसे मेजर फैक्टर्स में कौन से बदलाव करने की जरूरत है। इन चेंजेस के साथ इनकी डेडलाइन भी जरुर सेट करें ताकि सही टाइम पर आप सही जगह पर पहुंच सकें। इन तीनों सवालों के जवाब ढूंढ कर आप अपना बिजनेस प्लान तैयार कर लेंगे और उसके बाद इसे ओपरेट और मैनेज करने के लिए ऐसे लोगों को पोस्ट करें जो बिजनेस प्लान और स्ट्रैटेजिक प्लानिंग में एक्सपर्ट हों। जिनके पास एनालिटिकल थिंकिंग होने के साथ क्रिएटिव थिंकिंग भी हो और जो इस प्लानिंग की हर डीटेल पर अपना अटेन्शन देना इम्पोर्टेन्ट समझें। इस स्ट्रेटेजी प्लान बनाते समय इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि इसकी लैंग्वेज सिंपल, क्लियर और कंसाई यानी संक्षिप्त होनी चाहिए। 

इसलिए स्ट्रेटेजिक प्लानिंग करके अपने बिजनेस को एक फिक्स टाइम में हायर पोजिशन पर पहुंचाया जा सकता है। जहां तक बिजनेस को ले जाने का गोल एक कंपनी ने सेट किया होता है, स्ट्रेटेजिक प्लानिंग के बहुत से बेनेफिट्स होते हैं, जिन्हें जानकर आपको स्ट्रैटेजिक प्लानिंग की इम्पॉर्टेंस और भी बेहतर तरीके से समझ में आ जाएगी। इसलिए अब जानते हैं बेनिफिट्स के बारे में। नंबर एक पर है स्ट्रेटेजिक प्लानिंग। एक्टिव वर्किंग को एनकरेज करती है क्योंकि कंपनी को ये पता होता है कि हर साल वो कैसे काम कर रही है और उसे एक्सपेक्टेशंस क्या हैं। इस वजह से कंपनी अपने स्पेसिफिक गोल्स को अचीव करने के लिए एक्टिवली वर्क करती है और गोल अचीव करने के लिए ये बहुत जरुरी है। नंबर दो पर है स्पेसिफिक टारगेट्स को सेट करने में हेल्प करती है स्ट्रेटेजिक प्लानिंग स्ट्रेटेजिक प्लान हमेशा एक कंपनी के गोल्स को हाइलाइट करता है, जिससे फोकस और डायरेक्शन का सेंस बना रहता है। 

इसमें डिस्ट्रैक्शन होने और पुअर परफॉर्मेंस देने के चांसेस लो हो जाते हैं। ये बड़े गोल्स को शॉर्ट टर्म ऑब्जेक्ट्स के साथ कनेक्ट करता है और इसलिए कंपनी के एम्प्लॉइज को हरेक दिन पता होता है कि उन्हें क्या कहना है। टारगेट सेट होने से अर्जेंसी का फील्ड भी बना रहता है जिससे की काम तेजी से होता है। नंबर तीन पर है प्रोडक्टिविटी भी बूस्ट होती है। जब स्ट्रेटेजिक प्लानिंग इम्पोर्टेन्ट टास्क को हाइलाइट करती है तो डिस्ट्रैक्शन होने का रिस्क बहुत ही कम हो जाता है। टाइम और रिसोर्सेस का वेस्ट होना भी कम हो जाता है, क्योंकि प्रोडक्टिविटी बढ़ जाती है। हर एक को अपना टारगेट अचीव करने का एक्साइटमेंट बना रहता है और जब प्रोडक्टिविटी बूस्ट हो जाती है तो कंपनी को होने वाला प्रॉफिट बूस्ट होना भी तय हो जाता है, क्योंकि हर एम्प्लॉयी ये जानता है कि उसके टास्क और जिम्मेदारियां क्या क्या है और उसके वर्क से कंपनी किस तरह फिट होगी। इसलिए वो बेहतर काम करता है।

उसके रिजल्ट प्रॉफिट की फॉर्म में मिलने लगते हैं। इस तरह स्ट्रैटेजी प्लानिंग कंपनी को बेहतर डिसीजंस लेने में मदद करती है, डिस्ट्रैक्शन से बचाती है और कंपनी को अपने लॉन्ग टर्म गोल्स अचीव करने में मदद करती है। और इस तरह आप जान चुके हैं कि स्ट्रेटेजिक प्लानिंग क्या होती है, 


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