"Assessing the True Intelligence of Artificial Intelligence: A Worldwide Analysis" in Hindi


 क्या आर्टिफिशल इंटेलिजेंस आपकी जिंदगी आसान करने के बजाय मुश्किल में डाल देगा? तेजी से बढ़ रही तकनीक हमारी आपकी जिंदगी को खतरे में डाल सकती है। क्या इससे मेरी या आपकी नौकरी खतरे में पड़ जाएगी? यह सवाल लगातार उठ रहे हैं, पर यह सवाल तो कहीं न कहीं हम सबके जहन में उठ रहे हैं। तब से जब से कई कंपनियां बोर्ड की रेस में उतरने लगी हैं और अब तो इसे लेकर वो भी डर रहे हैं जो तकनीक की दुनिया के अगुआ हैं। दरअसल, आर्टिफिशल इंटेलिजेंस जिस तेजी से आगे बढ़ रहा है और जिस तरीके से इसके इस्तेमाल की तैयारी हो रही है, इसका अंदाजा तो इसे बनाने वालों को भी नहीं था। आर्टिफिशल इंटेलिजेंस यानी आए इनसानों के लिए बहुत बड़ा खतरा है। यह कहां है? गूगल से जुड़े एक लीडिंग इंजीनियर डॉक्टर जैफरी हिल्टन ने, जिन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जब रोहिंटन को आर्टिफिशल इंटेलिजेंस का जनक माना जाता है। 

डॉक्टर जेफरी 

इंटरनेट, डीप लर्निंग और न्यूरल नेटवर्क को लेकर रिसर्च की थी और इसी रिसर्च को जरिया बनाकर चार्ट जीपीटी जैसे एआई सिस्टम को बनाया गया। अब हिल्टन ने कहा है कि उन्हें अफसोस है कि वो इस रिसर्च से जुड़े थे क्योंकि एआई टेक्नोलॉजी की वजह से इंटरनेट पर गलत खबरों और अफवाहों की भरमार हो जाएगी। जब जैसी तकनीक हम से भी ज्यादा समझदार हो जाएगी तब बड़ा खतरा पैदा हो जाएगा। हाल ही में मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जिस तरह से डिवेलप हो रही है, यह इंसान की इंटेलिजेंस या समझ से बिल्कुल अलग है। हम इंसान हैं और ये एक डिजिटल सिस्टम है। समस्या ये है कि ये डिजिटल सिस्टम हम पर हावी होता जा रहा है। कई तरह के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम विकसित हो रहे हैं और ये सब लगातार सीखकर अपने आप को अपडेट कर सकते हैं। 

मान लीजिए कहीं पर 10,000 लोग हैं और उनमें से कोई एक शख्स कोई नई चीज सीखता है तो बाकी के 10,000 लोग भी उससे वो चीज सीख लेंगे। चैटबॉट जैसे सिस्टम भी ऐसा ही काम करते हैं। वो किसी एक शख्स के मुकाबले कई गुना ज्यादा होशियार होते हैं। आठ जीबी टी जैसी तकनीकी इतना जानती है कि वो इंसान के नॉलेज पर भारी पड़ रही है। जिस तरह से इस तकनीक पर लगातार काम चल रहा है उससे ये और बेहतर और सटीक होती जाएगी। इस वजह से हमें चिंता करने की जरूरत है। वो हमसे बेहतर और होशियार होने की राह पर हैं। इंसान पर तकनीक भारी पड़ने वाली है। इसलिए एलन मस्क से लेकर यशोदा बेन जियो जिन्हें एआई का कथित गॉडफादर माना जाता है और गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई तक इसे लेकर अंदेशा जता चुके हैं तो आखिर क्यों ये डर जताया जा रहा है। 

कई लोग मान रहे हैं कि कुछ दिनों में इंसानी दिमाग की ताकत को भी पीछे छोड़ देगा। दरसल माना जा रहा कि एआई के कारण 30 करोड़ नौकरियों पर खतरा हो सकता है। ये माना जा रहा है कि 46 फीसदी प्रशासनिक काम निपटा सकता है तो 44 फीसदी कानूनी कामकाज बिगड़ सकता है। लेकिन लेबर से जुड़े काम जैसे कंस्ट्रक्शन या मेंटेनेंस के सिर्फ छह फीसदी काम ही एआई कर सकता है। यानि यहां पर नौकरियों को इससे कम खतरा है। कलाकारों को भी ये एआई परेशान कर रहा है। ये आर्ट क्रिएट कर सकता है, गाने लिख सकता है। यही नहीं किसी कलाकार के काम के स्टाइल को कुछ सेकेंड में कॉपी कर सकता है। हाल ही में चैटबॉट जीपीटी ने एक दिवंगत कॉमेडियन के स्टाइल में स्टैंडअप कॉमेडी की स्क्रिप्ट लिख डाली। स्टेबल डिफ्यूजन जो ओपन सोर्स यानी इमेज जनरेटर है, हर वो इमेज क्रिएट कर सकता है जो आप अपने दिमाग में सोच सकते हैं। 

अब कुछ कलाकारों को डर है कि जिस कला को सीखने में उन्हें बरसों लगा है, उसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मिनटों में बना सकता है। हालांकि फिलहाल ये पता नहीं है कि कितने लोगों की नौकरी इस नई तकनीक से प्रभावित हो सकती है। लेकिन माना ये जा रहा है कि चार्ट जीपीटी उन लोगों के आर्टिकल लिखने में भी मदद कर सकता है जो बहुत बेहतर तरीके से नहीं लिख सकते। हाल ही में किए गए एक एक्सपेरिमेंट में हजारों आर्टिकल और सोशल मीडिया पोस्ट लिखे गए हैं। हो 27 से आगे पत्रकारों की नौकरी को भी खतरा हैं। रिसर्च इस ओर इशारा करते हैं कि साल 1980 से लेकर अब तक तकनीक जैसे जैसे तरक्की कर रही है, नौकरियों के मौके मिलने की बजाए लोगों को नौकरी से हटाने के मौके मिल रहे हैं। हालांकि कई लोगों का ये भी मानना है कि इससे प्रोडक्टिविटी बढ़ेगी तो इससे एक तरह की औद्योगिक क्रांति भी आ सकती है। कई इंडस्ट्री और सरकारें तो इसे लेकर उत्साहित हैं। ब्रिटेन में सरकार को बढ़ावा देने के लिए बड़ा निवेश करने की बात कर रही है। ब्रिटिश सरकार का कहना है इससे अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। वहीं भारत में प्रधानमंत्री मोदी ने भी कहा है कि वो चाहते हैं कि भारत के लिए एक वैश्विक हब बने।


We want India to become a global hub for Artificial

हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि ये देश की सामूहिक जिम्मेदारी भी है कि दुनिया को एआई के दुरुपयोग से बचाएं। माइक्रोसॉफ्ट के सह संस्थापक बिल गेट्स का कहना है कि आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के जरिए इस दशक की सबसे बड़ी तकनीकी बढ़त मिली है। इससे लोगों के काम करने, सीखने, यात्रा करने, सेहत की देखभाल करने और एक दूसरे से जुड़ने का तरीका बदल जाएगा और अगर ऐसा होगा तो क्या होगा। माना रहा कि अगले छह महीने में बहुत कुछ बदल जाएगा। ये कहा है औसतन कार्ड से जो आर्टिफिशल इंटेलिजेंस पॉलिसी एडवाइजरी ग्रुप सीआईआई के संस्थापक हैं तो वहीं आरती प्रभाकर जो व्हाइट हाउस के ऑफिस ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी पॉलिसी की डायरेक्टर हैं, उनका कहना है कि एक ताकतवर टेक्नोलॉजी आ रही है जिसका इस्तेमाल अच्छे या बुरे दोनों कामों के लिए हो सकता है। तो फ्यूचर टुडे इंस्टिट्यूट के हेड और न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी बिजनेस ऑफिसर एमी वेब का कहना है कि अगले 10 सालों में आर्टिफिशल इंटेलिजेंस या तो अच्छी या फिर बुरी दिशा में जा सकता है। तो चैटबॉट की दुनिया में कॉम्पिटिशन भी बढ़ रहा है। गूगल एआई चैटबॉट बाढ़ लेकर आ रहा है तो माइक्रोसॉफ्ट, जीपीटी और मेटा ने लॉन्च किया है अपना चैटबॉट ब्लेंड रोबॉट तो चीन का टेक जाएंट बायडू चैटबॉट ही लेकर आ रहा है। तो क्या दुनिया अब बोर्ड बैठक की गवाह बनेगी और क्या दुनिया इसके लिए तैयार है?

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